कई छात्रों को चोटें आईं। एक लड़के के हाथ में फ्रैक्चर हो गया, जबकि एक लड़की बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, स्कूल प्रबंधन समिति ने जांच के बाद इसकी पुष्टि की।

प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार :एचटी
ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक महिला शिक्षिका को सुबह की प्रार्थना के बाद पैर न छूने पर 30 से ज्यादा छात्रों की कथित पिटाई के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
अधिकारियों के हवाले से द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, खंडादेउला सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की सहायक शिक्षिका सुकांति कर ने पिछले गुरुवार को कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों को डंडे से पीटा। आमतौर पर छात्र प्रार्थना के बाद शिक्षिकाओं के पैर छूकर सम्मान प्रकट करते हैं, लेकिन कर देर से पहुंचीं और इस बात से नाराज होकर कि बच्चों ने इस परंपरा का पालन नहीं किया, उन्होंने कथित तौर पर उनकी पिटाई कर दी।
हाथ में फ्रैक्चर
कई छात्रों को चोटें आईं। एक लड़के के हाथ में फ्रैक्चर हो गया, जबकि एक लड़की बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, स्कूल प्रबंधन समिति ने जांच के बाद इसकी पुष्टि की।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, जब कुछ छात्रों ने स्वीकार किया कि उन्होंने उनके पैर नहीं छुए थे, तो उन्होंने कथित तौर पर उन्हें डंडे से बेरहमी से पीटा। इस पिटाई में कई छात्र घायल हो गए और एक बच्चे के हाथ में फ्रैक्चर हो गया।
अभिभावकों तक पहुंचा मामला
घटना की खबर तुरंत अभिभावकों तक पहुंची, जिससे अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्यों में नाराजगी फैल गई। प्रधानाध्यापक ने तुरंत मामले की सूचना बेतनोटी के बीईओ बिप्लब कर और संकुल समन्वयक देबाशीष साहू को दी, जो जांच के लिए स्कूल पहुंचे।
प्रधानाचार्य पूर्णचंद्र ओझा, प्रखंड शिक्षा अधिकारी बिप्लब कर, संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक देबाशीष साहू और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों ने जांच की और शिक्षिका को दोषी पाया।
बीईओ बिप्लब कर ने कहा, "आरोपी शिक्षिका को शनिवार को निलंबित कर दिया गया।" उन्होंने जोर देकर कहा कि मामले को "बेहद गंभीरता" से लिया गया है।
ओडिशा सरकार ने 2004 से स्कूलों में शारीरिक दंड पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उल्लंघन की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं।
अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा
ज्ञात हो कि हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के झबरेड़ा गांव के एक सरकारी स्कूल में सात वर्षीय मुस्लिम छात्र को शिक्षकों ने कथित तौर पर केवल एक दिन अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा।
बच्चे के पिता की शिकायत के अनुसार, जब वह अनुपस्थित रहने के अगले दिन स्कूल लौटा, तो शिक्षक राकेश सैनी और प्रिंसिपल रवींद्र ने उसे गंभीर रूप से पीटा। इस दौरान उसका हाथ टूट गया और शरीर पर कई चोटें आईं।
परिवार का आरोप है कि प्रिंसिपल रवींद्र ने बच्चे के चेहरे पर अपना जूता रखा, जबकि शिक्षक राकेश सैनी लगातार उसे पीटते रहे।
परिजनों द्वारा साझा की गई तस्वीरों में बच्चे के शरीर पर कई चोटों के निशान साफ़ दिखाई देते हैं।
शिकायत दर्ज होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने 11 सितंबर, 2025 को किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
बता दें कि 2023 में भी मुस्लिम छात्र के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षिका ने छात्रों को अपने सात वर्षीय मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के लिए उकसाया और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 को इस घटना के लिए सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने राज्य के वकील से कहा था, “यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राज्य ने वह नहीं किया जो उससे अपेक्षित था। जिस तरह से यह घटना घटी, उसे लेकर राज्य को गहरी चिंता करनी चाहिए।”
हर तरह के दंड पर है रोक
हिंदुस्तान की रिपोर्ट में कहा गया है कि, अक्टूबर 2007 के शासनादेश के अनुसार स्कूलों में बच्चों के प्रति हिंसा पर पूर्णतया प्रतिबंध है। इसके तहत बच्चों को डांटने, फटकारने, परिसर में दौड़ाने, चिकोटी काटने, छड़ी से पीटने, चांटा मारने, चपत जमाने, घुटनों के बल बिठाने, यौन शोषण, प्रताड़ना, क्लासरूम में अकेले बंद कर देने, बिजली का झटका देने या ऐसे किसी भी दंड पर पूरी तरह से रोक है, जिसके कारण बच्चे को शारीरिक या मानसिक आघात पहुंचे। बच्चे को अपमानित करने, नीचा दिखाने को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत भी किसी बच्चे को शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता है। साथ ही उनका मानसिक उत्पीड़न भी नहीं किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने वाले पर सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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प्रतीकात्मक तस्वीर ; साभार :एचटी
ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक महिला शिक्षिका को सुबह की प्रार्थना के बाद पैर न छूने पर 30 से ज्यादा छात्रों की कथित पिटाई के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
अधिकारियों के हवाले से द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, खंडादेउला सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की सहायक शिक्षिका सुकांति कर ने पिछले गुरुवार को कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों को डंडे से पीटा। आमतौर पर छात्र प्रार्थना के बाद शिक्षिकाओं के पैर छूकर सम्मान प्रकट करते हैं, लेकिन कर देर से पहुंचीं और इस बात से नाराज होकर कि बच्चों ने इस परंपरा का पालन नहीं किया, उन्होंने कथित तौर पर उनकी पिटाई कर दी।
हाथ में फ्रैक्चर
कई छात्रों को चोटें आईं। एक लड़के के हाथ में फ्रैक्चर हो गया, जबकि एक लड़की बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, स्कूल प्रबंधन समिति ने जांच के बाद इसकी पुष्टि की।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, जब कुछ छात्रों ने स्वीकार किया कि उन्होंने उनके पैर नहीं छुए थे, तो उन्होंने कथित तौर पर उन्हें डंडे से बेरहमी से पीटा। इस पिटाई में कई छात्र घायल हो गए और एक बच्चे के हाथ में फ्रैक्चर हो गया।
अभिभावकों तक पहुंचा मामला
घटना की खबर तुरंत अभिभावकों तक पहुंची, जिससे अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) के सदस्यों में नाराजगी फैल गई। प्रधानाध्यापक ने तुरंत मामले की सूचना बेतनोटी के बीईओ बिप्लब कर और संकुल समन्वयक देबाशीष साहू को दी, जो जांच के लिए स्कूल पहुंचे।
प्रधानाचार्य पूर्णचंद्र ओझा, प्रखंड शिक्षा अधिकारी बिप्लब कर, संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक देबाशीष साहू और स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों ने जांच की और शिक्षिका को दोषी पाया।
बीईओ बिप्लब कर ने कहा, "आरोपी शिक्षिका को शनिवार को निलंबित कर दिया गया।" उन्होंने जोर देकर कहा कि मामले को "बेहद गंभीरता" से लिया गया है।
ओडिशा सरकार ने 2004 से स्कूलों में शारीरिक दंड पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन उल्लंघन की खबरें लगातार सामने आती रहती हैं।
अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा
ज्ञात हो कि हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के झबरेड़ा गांव के एक सरकारी स्कूल में सात वर्षीय मुस्लिम छात्र को शिक्षकों ने कथित तौर पर केवल एक दिन अनुपस्थित रहने पर बुरी तरह पीटा।
बच्चे के पिता की शिकायत के अनुसार, जब वह अनुपस्थित रहने के अगले दिन स्कूल लौटा, तो शिक्षक राकेश सैनी और प्रिंसिपल रवींद्र ने उसे गंभीर रूप से पीटा। इस दौरान उसका हाथ टूट गया और शरीर पर कई चोटें आईं।
परिवार का आरोप है कि प्रिंसिपल रवींद्र ने बच्चे के चेहरे पर अपना जूता रखा, जबकि शिक्षक राकेश सैनी लगातार उसे पीटते रहे।
परिजनों द्वारा साझा की गई तस्वीरों में बच्चे के शरीर पर कई चोटों के निशान साफ़ दिखाई देते हैं।
शिकायत दर्ज होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने 11 सितंबर, 2025 को किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
बता दें कि 2023 में भी मुस्लिम छात्र के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खुब्बापुर गांव के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षिका ने छात्रों को अपने सात वर्षीय मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने के लिए उकसाया और “मुस्लिम बच्चों” के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2024 को इस घटना के लिए सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने राज्य के वकील से कहा था, “यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राज्य ने वह नहीं किया जो उससे अपेक्षित था। जिस तरह से यह घटना घटी, उसे लेकर राज्य को गहरी चिंता करनी चाहिए।”
हर तरह के दंड पर है रोक
हिंदुस्तान की रिपोर्ट में कहा गया है कि, अक्टूबर 2007 के शासनादेश के अनुसार स्कूलों में बच्चों के प्रति हिंसा पर पूर्णतया प्रतिबंध है। इसके तहत बच्चों को डांटने, फटकारने, परिसर में दौड़ाने, चिकोटी काटने, छड़ी से पीटने, चांटा मारने, चपत जमाने, घुटनों के बल बिठाने, यौन शोषण, प्रताड़ना, क्लासरूम में अकेले बंद कर देने, बिजली का झटका देने या ऐसे किसी भी दंड पर पूरी तरह से रोक है, जिसके कारण बच्चे को शारीरिक या मानसिक आघात पहुंचे। बच्चे को अपमानित करने, नीचा दिखाने को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत भी किसी बच्चे को शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता है। साथ ही उनका मानसिक उत्पीड़न भी नहीं किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने वाले पर सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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