
#आधार #UIDAI #Nilkeni #Right_To_Privacy #Mass #Surveillance
आधार के काम में नंदन निलेकनी के आधार कार्यक्रम पर एक सहयोगी की कंपनी OnGrid की साईट पर उनकी तकनीक के प्रचार की फोटो है नीचे, जो दावा कर रही है भीड़ में फोटो के जरिये व्यक्ति की सब निजी जानकारी - नाम, उम्र, लिंग, पता, पुलिस रिकॉर्ड, आदि तुरंत हासिल करने का।
क्या इस किस्म की तकनीक, जैसा कि बताया गया था, लोगों तक सब्सिडी का पैसा सही से पहुँचाने के लिए चाहिए?
आपके आधार के द्वारा प्रायवेट कंपनीया आपकी सारी जानकारीया रख रही है और ओथेन्टिकेशन के नाम पर पैसे भी कमा रही है।
भविष्य मे हमारे देश की, हमारे वैज्ञानिको की, हमारे नेताओ की सुरक्षा का क्या जब प्रायवेट कंपनियां रियल टाइम मे आपकी सारी निजी जानकारीया पैसे लेकर उपलब्ध करा रही हो फिर चाहे कोइ कंपनी हो या विदेशी संस्थाये।
क्या यह स्पष्ट नहीं कि असल में यह सरकार ही नहीं, सरकार बनाने वाले कॉर्पोरेट्स के द्वारा नागरिकों की हर हरकत
पर निगरानी रखने का तंत्र है जो हर किस्म की नागरिक स्वतंत्रता को ख़त्म कर देने के लिए ही खड़ा किया गया है।
अब कल्पना कीजिये कि सारे नागरिकों की पहचान और निजी जानकारियां इन तमाम कंपनियों के पास उपलब्ध है तो इसका कितना खतरनाक इस्तेमाल किया जा सकता है।
(Harsheet Shah)