इंटरव्यू

रेप-सीन वाह-वाह, प्रेम-सेक्स ना ना ! - ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ की उभरती एक्ट्रेस बिदिता बाग

Date: 
August 9, 2017
‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ की उभरती एक्ट्रेस बिदिता बाग ने समाज के दोहरे मापदंड और महिला विरोधी मानसिकता की धज्जियाँ उड़ा डालीं ! कम्युनलिस्म कॉम्बैट के साथ यह ख़ास मुलाक़ात में बिदिता बाग ने  कहा कि  भारतीय समाज और यहाँ का फिल्म सेंसर बोर्ड पाखण्ड की परिभाषा की बेजोड़ मिसाल हैं, समाज के दोहरे मापदंड रोड़े बन कर देश की प्रगति में बाधा डालते आये हैं !



भारतीय समाज और यहाँ का फिल्म सेंसर बोर्ड पाखण्ड की परिभाषा की बेजोड़ मिसाल हैं, समाज के दोहरे मापदंड भी रोड़े बन कर देश की प्रगति में बाधा डालते आये हैं !

TRANSCRIPT

आमिर रिज़वी:-   नमस्कार! आज सबरंग इंडिया में हमारे साथ है, बिदिता बाग जो मुख्य नायिका है बाबूमोशाय बंदूकबाज फिल्म की, और उस फिल्म के बारे में भी बहुत कुछ हंगामा मचा हुआ है, तो पूछते है उन्हीं से कि क्या–क्या उस फिल्म में है, तो मिलते है बिदिता बाग से।
बिदिता बाग:-    नमस्कार!

आमिर रिज़वी:-   हाय! बिदिता
बिदिता बाग:-    हैलो!

आमिर रिज़वी:-   अच्छा, हमने ये सुना है कि भई ये जो फीचर फिल्म है बाबूमोशाय बंदूकबाज  इसमें  48 कट करने की बात की जा रही है।
बिदिता बाग:-  जी हाँ, आपने सही सुना है, 48 कटस  की एक लिस्ट भेजा गया है, Directors और producers  के पास।  मेरे लिए I don’t know how to react  एक फीचर फिल्म में अगर आप 48 कट्स लगा देते है, तो फीचर फिल्म में बचता क्या है, वो तो डायरेक्ट शोर्ट फिल्म बन जाती है, तो लोग अब शोर्ट फिल्म देखने जायेंगे। I don’t know, but directors and producers they are fighting for it , let’s see।

आमिर रिज़वी:- बिदिता!  ये भारतीय फिल्म और टेलीविज़न एक्सीक्यूट ने फिल्म का समर्थन किया है जो दूसरे main screen commercial cinema वाले है उनका क्या कहना है इसके बारे में।
बिदिता बाग:-  जी!  एक बहुत अच्छी बात हो रही है हमारे फिल्म के साथ कि सारे producers or directors अभी इस फिल्म को support कर रहे है, पिछले हफ्ते around 25 directors or producers हमारे फिल्म के support में आए, हमने सब मिलकर press conference की। और सब ने जो अपना जो opinion है, वो press के सामने दिया। तो सब हमारी फिल्म के support में है और चाहते है कि सेंसर बोर्ड मतलब किसी भी फिल्म को सिर्फ सर्टिफिकेट दे, पर adult फ़िल्में कोई कट ना लगाये। यही बात है कि दर्शकों को decide करने दे, कि क्या करना चाहिए, क्या नही।

आमिर रिज़वी:-  अच्छा! इसमें फिल्म के निर्माता भी एक महिला है और मुख्य नायिका भी एक औरत है ऊपर से सेंसर बोर्ड के मशहूर पहलाज निहलानी है, बहुत intersting रहा होगा ये मामला।  
बिदिता बाग:-  जी हाँ ! बहुत intersting है मामला, हमारे producer साहब  को  पहले बताया गया कि kiran shroff है हमारे producer,तो उन्हें  कहा गया कि आप ऐसे कपड़ों में कैसे आ सकती है हमारे ऑफिस में, और आप एक महिला है, आप के फिल्म में इतनी गाली गलोच और इतने intimate scene   और महिला को इतने कम कपडे में दिखाया जा रहा है,आप कैसे allow  कर सकते है,  तो ये मुझे लगता है कि personal attack है एक producer महिला हो या पुरष, उन्हें इस तरीके से attack नही करना चाहिए, और इंसान क्या पहने या क्या नही पहने, ये मतलब सबका अपना decision है ,उन्हें जो मन हो वो पहन सकते है।

आमिर रिज़वी:-  अच्छा! ये जो गालियाँ है, सेक्स है, आखिर उससे समस्या है क्या उनको?  आखिर आपकी क्या सोच है इसके बारे में।
बिदिता बाग:-  सेक्स और गालियों से कोई समस्या नही होना चाहिए,लोग real life में सेक्स करते है, इसलिए भारत की आबादी इतनी ज्यादा है, और गालियाँ देखिये गालियाँ it is the part of our life. हम लोग एक दूसरे को भी गलियाँ देते है, जब तक गाली नहीं देते है,  लगता नही, वो दोस्ती यारी वाली बात नही आती वो बहुत formal-formal सा हो जाता है मामला, फिल्म में adult फिल्म में जाहिर है सेक्स भी होंगे, गालियाँ भी होंगी, और स्टोरी भी है, ऐसी बात नही है सिर्फ गालियाँ भरे ही दिए जा रहे है, और सेक्स। ये स्टोरी की डिमांड है, इसलिए ये सब कुछ है हमारी फिल्म में।

आमिर रिज़वी:-  तो उनको क्या problem है फिर इससे, सेंसर बोर्ड को है क्या problem ?
बिदिता बाग:-  सेंसर बोर्ड को तो कोई problem होना नही चाहिए,उनका काम है सिर्फ सर्टिफिकेट देना, अगर फिल्म बच्चों के लिए है तो youth certificate दो, अगर adult है तो adult सर्टिफिकेट दो, पर अगर सेंसर बोर्ड दादा जी की तरह behave करने लगे या हर चीज़ पर control करने लगे, इतना intolerant हो जाये सेंसर बोर्ड, तो बहुत शर्म की बात है,दुःख की बात है because it’s the democratic country. मुझे लगता है ऐसा नही करना चाहिए, क्योंकि हर लोगों का एक freedom है, वो क्या देखे क्या नही देखे, लोगों के freedom पर डायरेक्ट केंची लगा रहे हो आप, let the people decide हमारे देश में 70% से भी ज्यादा लोग adult है, तो उन्हें decide करने दीजिये ना।

आमिर रिज़वी:-  ये जो फ़िल्में है जैसे “उड़ता पंजाब” के बाद से अनारकली ऑफ़ आरह, लिपस्टिक अंडर माय बुरका ऐसा लगता है कि सेंसर बोर्ड और सरकार को जो समाज की सच्चाई दिखाने वाले इन फिल्मों से problem होनी शुरू हो गयी है, आपका क्या कहना है इसके बारे में?
बिदिता बाग:-  देखिये, मैं film fraternity  से हूँ मुझे सरकार पर कुछ बोलना नही चाहिए,पर सरकार जो है हम जनता ही चुनते है, तो कहीं ना कहीं मुझे लग रहा है कि जनता की mentality भी बदल रही है,और वो बहुत intolerant हो रहे है, उन्हें हर चीज़ से problem है, अगर सामने वाले के साथ उनका जो है mentality match ना हो,उन्हें attack करने लगे है, ये हम लोग social media पर भी देखने लगे है हर जगह में,  दो लोग दो अलग-अलग mentality के लोग normally बात नही कर पा रहे है, उनका झगडा होना क्या जरुरी है, हर वक़्त डिबेट होना जरूरी नही है, एक disscussion भी हो सकता है, तो but recently जितने भी incidence हो रहे है,लोगों के खाने पे, पीने पे,प हनावे पे क्या देखना चाहिए, क्या देखना नही चाहिए,हर चीज़ पर Censorship होने लगा है, हर चीज़ पर आपको क्या खाना है, तो गौरक्षक आ जायेंगे, आपको क्या पहनना है कोई और लोग आ जायेंगे, moral policing करने वाले तो ये बहुत एक बुरा दौर है, जिससे हमारा समाज अभी गुजर रहा है, इतना intolerant हमारे  देश के culture में नही था, I think  सेंसर बोर्ड को और lenient होना चाहिए, और tolerant होना चाहिए, freedom देना चाहिए filmmakers  को, जब तक freedom नही देंगे, तो अच्छी films नही बनेगे, अलग-अलग तरह के flavours की फिल्म नही बनेगे, सारे फिल्म एक ही जैसे एक Template में बनते रहेंगे,  formula films ही बनेंगे, तो real india है जो वो हमें देखने को नही मिलेगा किसी भी फिल्म में ।


आमिर रिज़वी:-    एक महिला के रूप में क्या आपको गालियों से problem नही लगता जो बिल्कुल महिला विरोधी है जैसे परिवार के,समाज के, सड़कों पर हिंसा के  और अपमानजनक रवय्ये दर्शाती है ।
बिदिता बाग:- जी! मुझे पर्सनली मुझे गालियों से प्रोब्लम है, पर हमारी फिल्म में इन गालियों की जरूरत है क्योंकि हम जो जिस एरिया को हम  लोग दिखा रहे है, कई बार ये लोग गलियाँ ऐसे मीन करके नही बोलते है, ये उनकी गाली जो देना  ना it’s part of their life,वो हमेशा normal conversation में भी  ऐसे गालियाँ देते है और मैं ये किसी  मतलब  ये female centric मतलब ये feminism पर फिल्म नही है ये story about the contract killer Babu और उसकी girl friend की story है जो फुलवा है, हम जो इस फिल्म में दिखा रहे है वो यूपी के interior से निकला हुआ हिस्सा है, यूपी में वहाँ के लोग जैसे बात करते है exactly वही चीज़ हम परदे पर दिखा रहे है, जरुरी नही कि ये सही हो, पर that‘s still life में जो भी होता है, जरुरी नही की वो  सही हो, but that‘s life, सही और गलत मिला कर ही life है ।

आमिर रिज़वी:-    यहाँ भारत में हर चीज़ को माता बनाने का बड़ा अच्छा tradition हो रहा है, कि भारत को माता बना दिया, किसी भी चीज़ को देवी बना दिया, हर चीज़ को बनाने में मगर उसी चक्कर में एकलव्य का अंगूठा भी काट लेते है, मगर एक तरफ किसी को इतना ऊँचा बिठा देते है, अपने सर के ऊपर बिठा देते है, लेकिन जब reality में हम देख रहे होते है,बहुत अजीब सा है, आपस में  समझ ही नही आता, जैसे कि वही बॉलीवुड की फ़िल्में है, वही सब कुछ है, उसमें बलात्कार का सीन तो शुरू से ही दिखाया जा रहा है, बहुत डिटेल में दिखाया जा रहा है, और किसी को कोई आपति नही होती, जब कि वो क्राइम है, और जैसे ही  वही किसी प्रेमी के बीच में सेक्स सीन आ जाता है, उसके लिए पूरा का पूरा समाज संस्कार पढवाता है, ये बहुत बड़ा problem हो गया सेंसर बोर्ड का, इसमें आपको कोई तकलीफ सा विरोधाभास नही लगता।
बिदिता बाग:-  हाँ ! सब कुछ एक दम एक दूसरे के opposite है, India में तो आप सब जानते है, you can piss in public, but you can’t kiss, मतलब publically आप शुशू कर सकते हो, मूत सकते है पर दो इंसान प्यार नही कर सकते, प्यार में भी अगर kiss है तो 10 sec का kiss मतलब kiss पर भी restriction लगा दिया जाता है, कि kiss 10 sec से ज्यादा नही हो सकता है rape सीन 2 मिनट, 5 मिनट, 7 मिनट तक दिखाया जा सकता है, जो कि सही नही है, इतना दिखाने की जरूरत नही है rape सीन, पर kiss, kiss से किसका क्या बिगड़ेगा, i really don’t know, और अगर दो charcter एक दूसरे से intimate हो रहे है, kiss कर रहे है passionately, that’s a beauitful things और indian film में वो बहुत ज्यादा देखने को मिलता है,जो esthetically shoot हो, अच्छी तरह से shoot हो,   and उस पर कट लगा दिया आपने, i really don’t know, और India में जो है ना, हर चीज़ को भगवान बना देने की जो आदत है, ना वो बहुत बुरी चीज़ है, जैसे भारत माता, अच्छा भारत माता के बाद भी अपनी माँ को भी एक दम आप भगवान की स्टेज पर ले जाते है, तो माँ और बच्चे का जो connect है ना, वो वहाँ कहीं missing हो जाता है, जब भी आप किसी को भगवान मानने लगते है, वो जो interaction सही तरीके से नही हो पाता, कई barriers आ जाते है, जब मैं अपनी माँ को माँ की तरह नही friend की तरह मैं मिलती हूँ, हमेशा मेरी माँ ने सिखाया है,कि मेरी माँ माँ नही मेरी friend है, तो मैं हर चीज़ के बारे में माँ के साथ खुल कर बात कर सकती हूँ, तो मेरे काफी problem solve हो गये, मेरे adolences के जितने भी problems थे, कोई भी question मैं इधर-उधर से लोगों से  नही पूछती थी, मतलब स्कूल स्टूडेंट्स होता है ना, आप जब when you are reaching 14-15 so you asked  other people, जो भी मेरे questions  होते थे ना मैं directly माँ से पूछती थी, तो मुझे लगता है ज्यादा भगवान बनाने से ज्यादा एक  friendly atmosphere बना लेना चाहिए,वो ज्यादा important है।

आमिर रिज़वी:-    तो बिदिता, इस फिल्म के बाद  से ये जो आपका सफ़र है  फिल्म का सफ़र है,वो आगे कहाँ जा रहा है, future plan क्या है? क्या projects है? ये सारी चीज़ें बताईये।
बिदिता बाग:-  मैं बहुत सोच समझ कर script sign करती हूँ, फ़िल्में sign करती हूँ, मैंने अभी तक जितने भी films किये, maximum, कुछ films मैंने पैसों के लिए किये है, सब जानते है, सभी करते है, पर मैंने 90% फ़िल्में जितने भी किये है social issue पर है, और मैं कोशिश करूंगी जितने भी फिल्म में आगे भी करूं, उसमें कुछ एक social message हो, कुछ एक अच्छी बात हो जो लोगों को कहीं उन्हें एक message दे, उन्हें touch करे,ये मेरी कोशिश रहती है, मैं दया बाई पर अभी एक biography कर रही हूँ, और एक फिल्म कर रही हूँ  एक लड़की के life के ऊपर, जिसे पढाई करना था जिसका नाम सरस्वती है, पर आगे जाकर उसे गैंगस्टर बना दिया जाता है,तो उसकी big problems और मैंने जम्मू कश्मीर के मुद्दों पर भी मैंने दो फिल्म किये है,और कुछ और भी मेरी फ़िल्में तैयार है, देखते है।

आमिर रिज़वी:-    बोम्बे कैसा लग रहा है? कब से हैं बोम्बे मैं आप ?
बिदिता बाग:-   मैं यहाँ बोम्बे  हो गये, कुछ 6-7 साल बोम्बे में मैंने बिताये है, बोम्बे मुझे बहुत अच्छा लगता है,क्योंकि बोम्बे में लोग इतना  मुर्ख policy नही करते, एक लड़की के लिए, single लड़की के लिए बोम्बे it’s dream city, मैं रात को दो बजे भी ऑटो लेकर मैं  जुहू चौपाटी आ सकती हूँ, मैं अकेले घूम सकती हूँ,कोई मुझे छेड़ता नही है,कोई मुझे परेशान नही करते, India के दूसरे cities में ये possible नही है, Bombay i love Bombay, Bombay की तरह कोई city मुझे लगता नही india में है, i love Bombay।

आमिर रिज़वी:-   तो बिदिता! आपका बहुत बहुत शुक्रिया सबरंग इंडिया में आने का,और बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ आगे future के लिए।
बिदिता बाग:-   Thank you !