इतिहास

October 10, 2016
जब एक कमज़ोर सरकार कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दे, तो लोकतंत्र नाम मात्र ही रह जाता है और तानाशाही एवं फासीवाद प्रबल हो जाता है. एम.एफ. हुसेन जिनकी गिनती विश्व विख्यात कलाकारों में की जाती है, उन्हें अपने ही देश से निर्वासित होने पर मजबूर किया गया था. सारा विश्व स्तब्ध था और कथाकथित संविधान के संरक्षक मूकदर्शक बने हुए थे. उनकी मनभावन आत्मकथा में मध्य प्रदेश के इंदौर की सार्वजनिक संस्कृति...
October 10, 2016
Popular cinema and public culture in Bombay Popular cinema in India is a strange social animal. Hailed as the primary popular culture in the country, it is also considered the filmi villain that has killed several pre-cinema cultural practices, most of which were community based. It is assumed that reproducibility has multiplied the outreach of cinema to such an extent that by the mid-20th...
October 7, 2016
(बाबू जगजीवन राम के मार्गदर्शन में भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान को युद्ध के हर मोर्चे पर हराया था. उनकी स्मृति को याद करने की जरूरत बता रहे हैं सूरज यादव, जो मंडल कमीशन के रचियता बी.पी. मंडल के परिवार से हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास पढ़ाते हैं. यह आलेख उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है.)    1971 युद्ध जिसमें भारत पाकिस्तान से मुक़म्मल तौर पर विजयी रहा और रक्षा...
October 3, 2016
कैसा इतिहास-बोध है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के बाद वैदिक युग आया? कहाँ सिंधु घाटी की सभ्यता का नगरीय जीवन और कहाँ वैदिक युग का ग्रामीण जीवन! भला कोई सभ्यता नगरीय जीवन से ग्रामीण जीवन की ओर चलती है क्या? सिंधु घाटी के बड़े-बड़े नगरों के आलीशान मकान की जगह कैसे पूरे उत्तरी भारत के वैदिक युग में अचानक नरकूलों की झोंपड़ी उग आई, जिसकी व्याख्या आप सिंधु घाटी में हुए जल-प्लावन, नर-संहार या महामारी को...
September 29, 2016
प्रधान मंत्री मोदी आरएसएस के एक वरिष्ठ और सफल स्वयंसेवक हैं और स्वयं को 'हिन्दू राष्ट्रवादी' कहलाना पसंद करते हैं।  वे भारतीय मुसलमानों को अपमानित करने और नीचा दिखाने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते हैं।  हाल ही में  कोज़हिकोडे केरल में भाजपा की राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हुवे उन्हों ने देश  के सब से बड़े अल्पसंख्याक समुदाय को 'दूसरा' या हम से 'अलग' बताने...
September 27, 2016
RSS सबसे ज़्यादा राष्ट्रवाद की बात करता है, वह आज़ादी की लड़ाई में कहाँ था ? उसने गाँधी जी का ही नहीं, भगत सिंह और सुभाष बोस का भी विरोध किया।   RSS का गठन 1925 में हुआ था यानी असहयोग आंदोलन की पृष्ठभमि में। संगठन का उद्देश्य ख़ासतौर पर हिंदुओं को गाँधी के 'चक्कर' से बचाना था। उसे न अंग्रज़ों से कोई दिक़्क़्त थी और न वह ऐसी आज़ादी चाहता था जो सबके भले के लिए हो, यानी हिंदुत्व...
September 25, 2016
आज नागपुर में आखिरी दिन था, सोचा था के आरएसएस मुख्यालय के बाहर जाऊंगा और एक लोकतांत्रिक तस्वीर तो लेकर आऊंगा। ताजुब की बात है कि auto वालो को दीक्षा भूमि तो सबको पता है पर आरएसएस का मुख्यालय कुछ को नही पता था कि कहाँ पर है। बैरहाल जब मुख्यालय पर पहुंचा तो पाया के हाई सिक्योरिटी है, 20-25 सफारी सूट में और 10-15 आर्म्ड गार्ड्स मुख्यालय गेट पर मौजूद थे, वहां सीमेंट के बैरियर भी थे जैसे 7...
September 22, 2016
Sat. 24 Sep. 2016, 7pm, at Gulmohur Hall, Indian Habitat Centre, New Delhi Centenary Year of the October Revolution   To commemorate the Centenary Year of the October Revolution, the first of a series of four lectures by Professor Prabhat Patnaik will be held on Saturday, 24 September 2016 at Gulmohar Hall, India Habitat Centre, Lodhi Road at 7.00 pm. The topic is “Marxist...
September 19, 2016
अनेक लोग ऐसा मानते हैं कि आदर्श या यूटोपियन समाज एक असंभव चीज है, लेकिन वास्तव में प्राचीन काल में अनेक समूह ऐसे रहे हैं जहाँ न किसी तरह का विवाद होता था और न ही कोई राजा या प्रजा जैसी बात होती थी। यहाँ तक कि ईसा पूर्व 2600 से ईसापूर्व 1900 के बीच फली-फूली सिंधु घाटी सभ्यता में भी हथियार, युद्ध या असमानता के कोई निशान नहीं मिलते।   द इंडस: लॉस्ट सिविलाइज़ेशंस के लेखक एंड्र्यू रॉबिंसन...
September 9, 2016
आरएसएस के लोगों पर महात्मा गाँधी की हत्या के राहुल गाँधी के आरोप और चल रहे मुकदमे के बीच गाँधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के परिवार ने दावा किया है कि गोडसे आरएसएस का कट्टर सदस्य तो था ही, साथ ही संघ से वह न कभी अलग हुआ और न ही संघ ने उसे कभी निकाला। नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के नाती सात्यिकी सावरकर ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया है कि उनके परिवार के पास नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे...