ये सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि लम्हे फिकर है

ये सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि लम्हे  फिकर है

इस्लाम मे दहशतगर्दी हमेशा से काबिले नफरत और काबिले मज़म्मत रही है लेकिन आज कुछ भटके हुए और गुमराह लोग ज़रायम को मज़हब से जोड़ने का घटिया काम कर रहे है और इंसानियत की सभी हदे तोड़ कर दरिंदो और वहशियों को शर्मसार कर रहे है|

इसी सिलसिले की ताज़ा कड़ी गत दिनों बंगलादेश के रेस्तुरांत मे अतंकवादियो द्वारा किये गए हमलो मे 19 वर्षीय तारिशी उसके दोस्त कबीर और फ़राज़ की भी दर्दनाक और अफसोसनाक मौत है| ज़िंदगी से भरपूर एक लडकी जो तालीम पूरी करके

इस दुनिया को अपनी खिदमत से खूबसूरत बना सकती थी उसे चन्द दरिंदो ने ऐसी अज़ीयत नाक मौत दी कि इंसानियत की रूह कॉप उठी| ये सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि लम्हे  फिकर है, तमाम मुसलमानाने हिन्द इस हादसे से सकते मे है| हमारी हमदर्दिया तर्शिया और उसके दोस्तों के वालदैन और अकुरबा के साथ है, जो इस दर्दनाक हादसे को कभी भूल नहीं सकते और उनकी ज़िन्दगिया ज़िन्दा लाश बनकर रह रही है| हम सब दुआ करते है कि अल्लाह तारिशी और उसके दोस्तों के वालदैन को सब्र दे और उनकी रूह को सुकून दे|

हम बनारस के शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, नागरिक समाज के लोग इस अफसोसनाक हादसे पर उन सभी के वालदैन को ताज़ियत पेश करते है और मज़हब के नाम पर फैलायी जा रही दहशतगर्दी की पुरज़ोर मुखालफ़त करते है|  

Signatories:
सहयोगी:  
प्रो कमरजहा,
प्रो रेहाना कुरैशी,
डॉ रिफत जमाल,
प्रो शाहीना रिजवी,
डॉ मुनीज़ा खान,
डॉ आरिफ,
प्रो हसन अब्बास,
डॉ एहसान अब्बास,
हाजी शुकरुल्लाह खान,
मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी मुफ़्ती ए बनारस,
अतीक़ अंसारी,
मौलाना हारुन रशीद नक्शबंदी,
मेहदी बख्त,
हाजी इश्तियाक,
डॉ नसीम खान,
सय्यद मोहम्मद यासीन,
अब्दुल्लाह अंसारी,
इरशाद अहमद,
डॉ जावेद शम्स आदि आदि....