डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को सुनाई गई 20 साल की सज़ा का स्वराज इंडिया ने किया स्वागत

स्वराज इंडिया 
 
प्रेस नोट: 28 अगस्त 2017
 
  • डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को सुनाई गई 20 साल की सज़ा का स्वराज इंडिया ने किया स्वागत।
     
  • हरियाणा की बदहाल स्थिति के लिए प्रधानमंत्री मोदी सीधे तौर पर ज़िम्मेदार।
     
  • अगर मोदी सिर्फ़ बीजेपी नहीं, पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं तो खट्टर सरकार को बर्ख़ास्त करने की तुरंत सिफ़ारिश करे।
     
  • गुरमीत सिंह को हरियाणा पंजाब के अलावा किसी अन्य बीजेपी शाषित राज्य के बाहर की जेल में भेजा जाए, ताकि जेल के अंदर विशिष्ट अतिथि की तरह न रखा जाए।
     
  • भाजपा सांसद साक्षी महाराज के ऊपर गुरमीत सिंह के मामले में दिए बयानों पर मुकदमा दर्ज़ हो।
     
  • अगर सरकार मांगों को नहीं मानती है तो प्रशांत भूषण इन मामलों को अदालत में ले जाएंगे।
 
 
डेरे की दो साध्वी से बलात्कार के जुर्म में गुरमीत राम रहीम सिंह को सुनाई गई 20 साल की सज़ा का स्वराज इंडिया स्वागत करता है। उम्मीद है कि इसके साथ ही न्याय के लिए चले एक लंबे संघर्ष का अंत होगा जिसमें हमारी न्याय-व्यवस्था पर देश की नज़र थी। हम सीबीआई अदालत के न्यायाधीश को सलाम करते हैं जिन्होंने हर तरह के दबाव का सामना करते हुए राजनीतिक शह मिले इस ताक़तवर व्यक्ति को सज़ा सुनाई। हम उम्मीद करते हैं कि ताक़तवर लोगों द्वारा महिलाओं के शोषण के मुद्दे पर से हमारा ध्यान नहीं हटेगा। साथ ही, पिछले सप्ताह भर देश और प्रदेश के संवैधानिक संस्थानों, सरकारों और नेताओं की भूमिका का आंकलन भी ज़रूर होगा।
 
गुरमीत राम रहीम पर सीबीआई अदालत के आये फैसले के बाद हरियाणा हिंसा की आग में झुलस रहा है। राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है। इस फैसले ने जहाँ एक तरफ डेरा से राजनीतिक पार्टियों के गठजोड़ का खुलासा किया है, वहीँ दूसरी तरफ हिंसा और तोड़फोड़ रोकने में हरियाणा सरकार की नाकामियों का भी पर्दाफाश किया है। इस पूरे घटनाक्रम में केवल न्यायपालिका ही संवैधानिक दायित्वों की रक्षा करती नज़र आ रही है।
 
तीन साल में यह तीसरी घटना है जब हरियाणा सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाये रखने में विफल साबित हुई है। इस बार की घटना न केवल प्रशासनिक तंत्र में चूक (जैसा रामपाल मामले और जाट आंदोलन के दौरान राज्यव्यापी हिंसा के रूप में हुआ था) की ओर इशारा करता है बल्कि उच्च राजनीतिक पदों पर बैठे लोगों के निहित स्वार्थ को भी दर्शाता है। इस प्रकार हिंसा और तोड़फोड़ रोकने की सरकार की इच्छाशक्ति भी संदेह के घेरे में है। इस बार की घटना इस मामले में भी भिन्न है की न्यायालय, खुफिया एजेंसियों एवं मीडिया ने सरकार को पहले ही आगाह कर दिया था। घटना का चरित्र, समय, तारीख, स्थान, आदि पता होने के बाबजूद सरकार अगर डेरा समर्थकों द्वारा की गयी व्यापक हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी को नहीं रोक पाती है तो इसमें सीधे तौर पर सरकार दोषी है। हिंसा में अब तक 38 जानें जा चुकी है, ऐसे में सरकार से कुछ सवाल पूछे जाने चाहिए :
 
1. मसलन खुफिया एजेंसियों, मीडिया रिपोर्टों और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पर्याप्त चेतावनी के बावजूद इतनी बड़ी भीड़ को पंचकुला में क्यों इकट्ठा होने दिया गया?
 
2. धारा 144 लागू करने की अधिसूचना में 5 या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर रोक क्यों नहीं लगाई गयी?
 
3. हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन द्वारा भीड़ को हटाने की कोशिश क्यों नहीं की गयी?
 
4. हरियाणा सरकार के दो कैबिनेट मंत्री ऐसे समय में गुरमीत राम रहीम से मिलने डेरा क्यों गए थे, जब CBI कोर्ट 10 दिनों में फैसला सुनाने वाला था?
 
5. हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक़्त डेरा और बीजेपी के बीच क्या डील हुई थी, जिसका जिक्र गुरमीत की बेटी ने फैसले के बाद किया है?
 
इन प्रश्नों के उत्तर के अभाव में इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि स्वतंत्र न्यायपालिका के खिलाफ मुख्यमंत्री और डेरा प्रमुख ने पहले से ही समझौता कर लिया था। सत्ताधारी दल डेरा के उस कर्ज को चुका रही है जो उसने 2014 के चुनाव में खुले तौर पर बीजेपी को समर्थन दे कर किया था। स्वराज इंडिया अदालत के इस फैसले का स्वागत करती है। सीबीआई कोर्ट के जज को सलाम करती है, साथ ही पंजाब और हरयाणा कोर्ट ने जिस तरह से संविधान की रक्षा की उसका स्वागत करती है। हम उन दो साध्वी को भी सलाम करते है जिन्होंने इतने मुश्किलों के बावजूद बलात्कारी को जेल भेजकर न्याय की मिसाल बनीं। यह समय है "पूरा सच" के संपादक रामचंद्र छत्रपति को नमन करने का जिन्होंने इस संघर्ष में अपने जीवन का बलिदान दिया।
 
स्वराज इंडिया यह मांग करती है की:
 
  1. हिंसा रोकने में राज्य सरकार की विफलता को देखते हुए भारत के राष्ट्रपति को हरियाणा की खट्टर सरकार को अविलम्ब बर्खास्त करना चाहिए।
     
  2. बलात्कार मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा पंजाब और अन्य बीजेपी शासित राज्यों से बाहर के किसी जेल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
     
  3. श्री साक्षी महाराज के ऊपर हिंसा उकसाने, न्यायपालिका को धमकी देने और अदालत की अवमानना के आरोप में केस दर्ज कर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
 
साथ ही हम सभी राजनीतिक दलों से उम्मीद करते हैं कि वह डेरा और गुरमीत राम रहीम पर फैसले के सम्बन्ध में अपनी राय सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करें। स्वराज इंडिया देश में कानून के राज को पुनः स्थापित करने के आंदोलन में नागरिकों, विशेषकर महिला संगठनों का आह्वान करता है।