रोज़ी-रोटी अधिकार अभियान, राजस्थान

दिनांक  31.5.2017
प्रेस सम्मेलन विज्ञप्ति
 
मातृत्व लाभ योजना से राजस्थान की चार में तीन महिलाएं वंचित
 
मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे,
 विरोध किया रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान ने
 
केन्द्रिय सरकार द्वारा इस हक को सीमित करने व कानूनी उल्लंघन करने का हर जिले में  होगा विरोध।
 
रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान ने हाल ही में केन्द्रीय सरकार द्वारा घोषित मातृत्व लाभ योजना में असमानता व हक को सीमित करने के विरोध में प्रतिरोध बैठक जयपुर में रखी। बैठक में आये 10 जिलों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ज्ञापन दे उनसे अपील की वे तुरंत प्रभाव से केंद्र सरकार को लिखकर सभी महिलाओं को समानजनक मातृत्व हक दिलवाये।
 
अभियान के वरिष्ठ सदस्य डाॅ. अशोक  खण्डेलवाल ने कहा कि 2013 के खाद्य सुरक्षा कानून में दिया गया मातृत्व लाभ का कानूनी हक जिसकी मूल मंशा है कि हर औरत को हर प्रसव के लिए लाभ मिले के विपरीत नरेन्द्र मोदी सरकार ने 17 मई 2017 को शर्तों के साथ एक योजना जारी की जिसमें सिर्फ पहले जिन्दा प्रसव पर ही गर्भवती महिला को कुल मात्र 6000 हजार रुपये मिलेंगे। जिसमे पांच हजार रुपये तीन किश्तों में-एक हजार की पहली और दो-दो हजार की दो -दिए जायेंगे और एक हजार रुपये संथागत प्रसव पर राशि दी जायेगी। केवल पहले प्रसव पर माँ को लाभ देना व संस्थागत प्रसव, जननी सुरक्षा योजना में दिये जा रहे 1400 रूपये का विलय इस योजना में कर देना कही से भी न्यायसमत नहीं है। खुद सरकार बच्चों के बीच में भेदभाव कर रही है, व यह संदेश दे रही है कि केवल पहले बच्चे तक ही सरकार की जिम्मेदारी है।
 
राजस्थान राज्य के लिए इस योजना के खतरनाक प्रभाव के बारे में जन स्वास्थ्य अभियान की छाया ने बताया कि राजस्थान राज्य में हर वर्ष कुल लगभग 13.5 लाख प्रसव होते हैं, अब इस सशर्त मातृत्व लाभ योजना के निर्णय से राजस्थान राज्य की केवल लगभग 5.12 लाख महिलायें लाभ की पात्र होंगी. इस प्रकार केवल 32 प्रतिशत महिलायें ही इसका लाभ ले पाएंगी। जिससे अधिकाँश महिलाओं मातृत्व लाभ वंचित रहेगी।  जनजाति और अनुसूचित जाती में क्रमशः 28 और 30 प्रतिशत था. अतः मात्र एक चोथाई से कम महिलाएं योजना का लाभ उठा पाएंगी और जनजाति और अनुसूचित जाती की महिलाओं को विशेष नुकासान होगा।
 
रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान के सह-संयोजक श्याम लाल ने कहा कि जिस प्रदेश में बेटी की लालसा है, इस तरह की योजना का विपरित असर लड़कियों के जन्म पर होगा और घटते लिंग अनुपात पर और विपरीत असर पड़ेगा। बाल लिंग अनुपात अभी 888 है जिसकेे और भी घटने की संभावना बढ जाती है।
 
रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान के सह-संयोजक रवि चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में अभि भी ग्रामीण इलाको में 18 प्रतिशत औरते संस्थागत प्रसव नहीं करवा रही है तो उन्हें इस हक से वंचित रखा जायेगा। उनका यह भी कहना था कि एन. एफ.एच.एस. 4 के अनुसार राजस्थान मे बाल मृत्यु दर 51 है। इस प्रकार 5 प्रतिशत पहले प्रसव के बच्चे जीवन खो देते है। ऐसी महिलाओं को अगले प्रसव के लिए यह योजना लाभ से वंचित कर देती है।
 
बैठक में रोजी रोटी अधिकार अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका कविता श्रीवास्तव ने कहा कि हम मांग करते है की राजस्थान सरकार इस केंदीय योजना को वापस करे और मांग करे कि
1.            मातृत्व लाभ सभी महिलाओं को बिना किसी शर्त के दिया जाये।
2.            वर्तमान लाभ की सीमा को बढ़ाकर समय और न्यूनतम मजदूरी से जोड़ा जाये।
3.            मातृत्व लाभ को 1961 के कानून के तहत सभी को दिया जाये और कानून में इस सम्मत वांछित बदलाव किया जाये।


बैठक में तय किया गया कि इस सीमित योजना के विरोध में हर जिले में प्रतिरोध होगा और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को मांगे भेजी जायेंगी। साथ ही गांव स्तर पर अभियान चला कर जुलाई माह में राज्य सम्मेलन किया जायेगा।


बैठक में वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. मालती गुप्ता, पी.यू.सी.एल. की वरिष्ठ कार्यकर्ता विजय लक्ष्मी जोशी , भारत ज्ञान विज्ञान समिति की कोमल श्रीवास्तव, बजट अध्ययन केन्द्र की बर्खा, एकल नारी शक्ति संगठन से शांती देवी, डूंगरपुर कालू लाल, पी.यू.सी.एल. के कैलाश मीणा, सूचना व रोजगार अभियान के मुकेश  गोस्वामी, कमल टांक, जन चेतना संस्थान सिरोही से आई कैलाश  देवी, दलित विचारक नवीन नारायण, एन.एफ.आई.डब्ल्यू. की राजकुमारी डोगरा, नागरिक मंच से बंसत हरियाणा, राजस्थान समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, अजमेर महिला समूह की आशा मनवानी, महिला व बाल विकास सीमिती की आशा  कालरा, एस.आर.के.पी.एस. झूझुनू के अरविन्द आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। 
 
हम है  रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान
 
श्याम लाल, रवि चतुर्वेदी, अशोक खण्डेलवाल, भँवर सिंह, कविता श्रीवास्तव, हरकेश बुगालिया, खेमराज, नरेन्द्र गुप्ता, छाया, विजय लक्ष्मी जोशी, अरविन्द ओझा, नरेन्द्र सिंह, निखिल डे, कोमल श्रीवास्तव, मेवा भारती, सतीश, चन्द्रकला, लाली, कैलाश मीणा, रिचा, राखी, नरेन्द्र शर्मा, शंकर सिंह, कमल टांक, मुकेश गोस्वामी, दिनेश, करूणा, चेतनराम, लता कच्छावा, रमेश, ग्यारसी बाई, नवीन नारायण, सीताराम व भँवर लाल कुमावत (पप्पू) इत्यादि।
 
संलग्न दस्तावेज़ :
 केंद्रीय मंत्रिमंडल के १७ मई २०१७  मातृत्व लाभ  को लेकर निर्णय (English व हिंदी )

CM वसुंधरा राजे को ज्ञापन 31 मई 
उपरोक्त प्रेस सम्मलेन ब्रीफिंग नोट   
महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा पत्र सभी राज्य को