PUCL नोट - जैसलमेर के अहमद खान मांगणियार की हत्या की कड़ी निंदा

जैसलमेर के अहमद खान मांगणियार की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए और यह फिर स्तापित करते हुए की राजस्थान में जाती और धर्म के आधार पर सामाजिक रूप से कमज़ोर लोगो की हत्या बढ़ती जा रही है।
 
PUCL नोट
 
हादसे के तथ्य,
 
गांव जहां घटना हुई उसका नाम डन्ठल, फुलसुन्द थाना , जैसलमेर है।
 
मंदिर के भोपा और रमेश सुथर मुख्य आरोपी है।
 
दूसरे आरोपी का नाम तारा राम सुथर और श्याम राम सुथर है।
 
पीड़ित का नाम अहमद खान मांगणियार है जिनकी उम्र 50 वर्ष है। परिवार में बीवी और चार बच्चे हैं।
 
हादसे की तारीख 27 सितंबर 2017 है।
FIR की तारीख 2 अक्टूबर 2017 है।
 
नवरात्रि के दिन भोपा के अंदर देवी आनी थी। 27 तारिक़ को, राग पर्चा (वो राग देवी जिसमें चमत्कारी तथा विनाशकारी शक्ति हिती है) जो कि मांगणियार अहमद खान ने गाया, वो अच्छा नही लगा और  भोपा तथा उसके भाइयो ने अहमद खान पर चिल्लाया और उसको मारा। साथ ही उसके वाद यंत्र तोड़ दिए। वहां काफी लोगो की मौजूदगी के वे वहां से चले गए।
 
भोपा और उसके भाइयो ने अहमद खान को मारा। पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट की अनुसार अहमद खान को गहरी चोट आई है।
 
इस घटना की FIR चार दिन बाद लिखाई गयी। लोगो का यह भी मानना है कि सुथर परिवार को भोपा परिवार को पैसे देने थे पर क्योंकि नही दिए इसी लिए चार दिन बाद FIR लिखायी गयी।
 
मांगणियार के जोधपुर से एक रिश्तेदार ने जैसलमेर आके रिपोर्ट लिखायी।
हमे इस बात की खुशी है कि मांगणियार परिवार समाज के दबाव में झुका नही और मामले की रिपोर्ट लिखायी। मगर इसको गांव की परंपरा का उलंघन करना माना गया क्योंकि भोपा की गांव में काफी इज़्ज़त एंड मान है। इसके चलते सारा समाज मांगणियार के खिलाफ हो गया। ये समाज में अधिकतर राजपूत है।
 
उस गांव का सरपंच भी राजपुत है और सुथरा ओबीसी है जिनको राजपूतो का सहारा मिला है।
 
और इसके चलते बाकी समुदायों ने मिलके 40 मांगणियार परिवार को पुलिस के सहारे , गांव से निकाल दिया।
 
जब शव परिवार को वापिस दिया गया तोह किसी ने शव को साफ करने के लिए पानी तक नही दिया। अब ये मांगणियार, पास ही एक गांव बलद में अपने रिश्तेदारों के रह रहे है।
 
माहौल इतना गंभीर था कि मांगणियार अपने गया, बकरिया और एक नए तोह अपना घोड़ा भी छोड़ दिया। अंत मे, पुलिस ने घोड़े को मांगणयार को लौटाया।
 
मांगणियार छोटे कलाकार है जो कभी हिंदुस्तान के बाहर भी नही गए हैं क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नही है, जिनकी आज भी रोज़ाना की कमाई10 रुपये है।
 
वो 40 परिवार ज़्यादा दिन तक आने रिश्तेदारों के घर नही रह सके और इसके कारण वो बलद छोड़ कर 9 तारिक को वापिस जैसलमेर आ गए।
 
फुलसुन्द थाना की पुलिस ने भोपा को तोह पकड़ा मगर बाकी दो अभी भी फरार है। पुलिस ने मांगणियार को आष्वासन दिया कि वे उन्हें सुरक्षा देंगे और वापिस जैसलमेर आने को आवेदन किया।
 
अब वे वापिस शहर में है जो मज़दूरी कर के अपना घर चलाएंगे।
 
इस हादसे में मुसलमान का कोण शायद नही है क्योंकि वे मिरासी है जो मुसलमान अछूत ढोली माने जाते है और ये obc जाती में आते है। (हिन्दू धर्म में भी ढोली होते है हो SC में आते है)
 
 मांगणियार की आज की यह स्तिथि का कारण यह है कि वे समाज के आगे नही झुके।

 
10 अक्टूबर को डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने सरपंच को यह मामला सुलझाने के लिये बुलाया और मांगणियार को वापिस बुलाने को बोला। पर मांगणियार डर के कारण वापिस नही आ रहे है क्योंकि जब उनके भाई अहमद खान को मार गया तोह कोई हाथ बढ़ाने नही आया।
 
इस समय, गांव में
5 सुथर
40 मांगणियार
250 राजपूत
50 मेघवाल (आखरी सरपंच मेघवाल था)
20 चरन धानी में है।
और अन्य जातियां है।
 
Pucl इसकी निंदा करता और बढ़ते अपराधों का सबूत हौ। ये अपराध बहुसंख्यक जातियों और धर्म के कारण होते है।
 
प्रशंसन क्या कर रहा था जब 200 मांगणियार को गांव छोड़ के  जाना पड़ा?

इन कलाकारों को आज मज़दूरो का जीवन बिताना पड रहा है जो हमारे लिए बोहोत शरम की बात है।


कविता श्रीवास्तव 
(अध्यक्षा )