साबरमती आश्रम,अहमदाबाद- 10.00am से- श्री जगन्नथ मंदिर, जमालपुर 3.00pm अहमदाबाद
साथियो ,
आज धर्म और सम्प्रदाय का नाम लेकर जो अविश्वास, दूरिया ,तंगनज़री और नफरत फैलाई जा रही है।जिसका सबसे ज़्यादा बुरा असर देश की एकता और सामजिक तानेबाने पर ही होता है ।उसने धर्म की अंतरात्मा को घायल कर दिया है।धर्म जिसका काम सिर्फ सच्चाई ,अमन ,बराबरी ,न्याय ,मुहब्बत ,खिदमत ,हमदर्दी ,इंसानियत ,मैत्री,विश्वास को कायम करना और बाकी रखना है,आज ठीक इसके उल्टा हो रहा है।धर्म नफरत ,हिंसा और दूरिया पैदा करने का ज़रिया भर बन कर रह गया है l
इसलिए "खुदाई खिदमतगार" जो सीमान्त गाँधी खान अब्दुल गफ्फार खान की ही स्थापित की हुई संस्था है l जिसके मुख्य उद्देश्यों में से एक,सभी धर्मो में सदभाव स्थापित करना है। खुद खान अब्दुल गफ्फार खान ने कहा था "मज़हब तो दुनिया में इंसानियत ,अमन ,मोहब्बत ,प्रेम,सच्चाई और खिदमत के लिए आता है"
उनके एक सौ सत्ताइंसवेजन्म दिन पर इस से अच्छी श्रधांजलि और कुछ नही हो सकती की हम उनके उसी सन्देश को लेकर निकले और खुशामद कर के लोगो को समझाये,की धर्म पर सच्चे मायने में चलने का मतलब यही है की हम अमन ओ मोहब्बत का पैगाम आम करे और नफरत की दीवारों को ढहा दे l
हम लोगो ने तय किया है की साबरमती आश्रम ,जहाँ महात्मा गांधी ने मुहब्बत और इंसानियत के लिए सत्याग्रह के रास्ते के अनेको प्रयोग किये थे। वहा से लेकर जगन्नाथ मंदिर ,जमालपुर तक करीब सात किलोमीटर का रास्ता तय किया जाये।जगन्नाथ मंदिर ही में 1967 में खान साहब ने जाकर साम्प्रदायिकता की आग में सुलग रहे शहर को शांत करने का मिसाली काम किया था।रास्ते में पड़ने वाला बसन्त -रजब स्मारक भी हमें धर्म के हक़ीक़ी मायने याद दिलाएगा की जान तो जा सकती है,लेकिन सच्चाई का रास्ता नही छोड़ा जा सकता।
हम रास्ते भर ये सन्देश देंगे की मज़हब दीवारे खड़ी करने के लिए नही,उनको ढहाने के लिए होता है।नफरत के लिए नही मुहब्बत के लिए होता है।ज़ुल्म के लिए नही माफ़ कर देने के लिए होता है।
अगर सभी धर्मो के मूल संदेश पर गौर किया जाये तो यही है की धर्म अपने अनुयाइयो में नैतिकता ,अनुशासन ,ईमानदारी ,नेकी ,करुणा ,सेवा की भावना भर दे,पर समस्या तब पैदा होती है जब इस मूल भावना से हटकर हम दूसरो के खिलाफ साज़िशों में लग जाते हैं। इसमें सबसे आगे वह लोग होते है जिनका धर्म से दूर दूर का भी वास्ता नही होता।वह अपने आर्थिक और राजनैतिक हित के लिए ऐसा करते है जैसे अंग्रेज़ो ने अपने शासन को मज़बूत करने के लिए हिन्दू -मुस्लिम एकता को तोड़ा था l
इस वक़्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है के सभी धर्मो की मूल भावना को ज़्यादा से ज़्यादा लोगो के समाने रखा जाये, ताकि धर्म का असली मकसद लोग पहचान सके।महात्मा गांधी मानते थे की सभी धर्म एक ही विशाल पेड़ की टहनियों की तरह है।डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कटटरता हमें आध्यात्मिकता से इतना दूर कर देती जितना उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव।तुलसी दास ने भी इसी पर ज़ोर दिया है की दूसरो का दर्द दूर करने से और उनके हित को आगे बढ़ाने से बड़ा कोई धर्म नही है।पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी फ़रमाया है की सबसे भला इंसान वह है जिससे सबसे ज़्यादा लोगो का भला होl
इस यात्रा के दौरान हम लोग बातचीत ,जनसभाएं .युवाओ से सम्पर्क ,साहित्य वितरण ,सर्वधर्म संवाद ,प्रार्थना ,वगैरह करते चलेंगे ।हम यह कोशिश भी करेंगे की लोगो को समझा सके की नफरत के बीज मत बोइये वरना कांटेदार दरख्ते पैदा होंगे।जो हमें घायल कर के रख देंगे हम कितना ही लड़ लड़ के एक दुसरे का खून बहा दे लेकिन एक दिन ऐसा ज़रूर आयेगा जब हमे यह अहसास होगा के हमने भारी भूल की है, समझदरी यही है के उस से पहले ही हम आँखे खोल ले l
अपनी आज़ादी के लिए दी गयी लाखो लोगो की कुर्बानियो और अपनी सांझी विरासत को चोट न पहुंचाइये।हर हालत में अपनी उस सांझी विरासत की हिफाज़त कीजिये जिसके लिए हम सारी दुनिया में मशहूर रहे है और दुनिया हमें सम्मान की निगाह से देखती रही है l
गाँधी आश्रम साबरमती10:00am-दांडी ब्रिज -वादन सर्किल -इनकम टेक्स -कोचरब आश्रम -सरदार ब्रिज -फूल मंदिर -गायकवाड़ हवेली -वसन्तराव -रजब स्मारक -जमालपुर श्री जग्गनाथ मंदिर-3:00pm
खुदाई खिदमतगार गुजरात:@9999746196-7838944576- 9824684985