JNU NSUI State Press Release
भारतीय राष्ट्रीय छात्र सगंठन (NSUI) द्वारा तथाकथित मोदी सरकार द्वारा देश की शिक्षण व्यवस्था को तबाह करने तथा शिक्षा की स्वायत्ता पर हमला करने के कारण विजयी दशमी के दिन स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक RSS की विचारधारा और बडबोले नेताओं का पुतला फूंका। विरोध के इन तरीकों का सनातन काल से इस्तेमाल होता रहा है गौरतलब है कि 1945 में नारायण आर्ट द्वारा प्रकाशित और गोडसे द्वारा संपादित ‘अग्रणी’ पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर महात्मा गाँधी, बी.आर. अंबेडकर, सरदार पटेल आदि नेताओं का पुतला फूँकते हुए फोटो प्रकाशित किए गए।
आज वे लोग राष्ट्रीयता और भारत की बात करने वालों के विचार बेमानी लगते है। मुँह में राम और बगल में चुरी वाली हरकत करने वाले RSS की विचारधारा से जुड़े लोग उनका पुतला फूंकना आज के समय में बेहद जरुरी हो गया है। ये वे लोग है जिन्होंने सत्ता में आने के बाद भारत राष्ट्र की विविधतापूर्ण संस्कृति को समाप्त कर भारत सरकार को व्यक्ति विशेष की सरकार बनाकर प्रचार करना प्रारंभ कर दिया है। अब अखबारों में या टीवी पर कहीं भी भारत सरकार शब्द सुनने को कान तरस गए है। तानाशाही रुप से मोदी सरकार के ही जुमलों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
गौरतलब है कि इस सरकार द्वारा देश के शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम, स्वायत्तता पर लगातार हमला किया गया है। जिसका गवाह संपूर्ण राष्ट्र है। NIT कश्मीर, इलाहबाद – आगरा-अलीगढ़ विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, पूना फिल्म संस्थान, हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, IIT पूणे वे उदाहरण है जिनके बारे में हम लोग जानते है। ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण है जो पूरे भारत में फैले हुए है। इस सरकार ने सत्ता में आने के बाद अंबेडकर साहित्य को प्रकाशित करना बंद कर दिया है। प्रकाशन संस्थान, नेशनल बुक ट्रस्ट का सांप्रदायिककरण कर दिया है।
JNU NSUI इकाई द्वारा ज्ञानदेव आहूजा, योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्रज्ञा, नाथूराम गोडसे, अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का पुतला फूँकने के विरोध करने वालों से पूछना चाहते है कि क्या ज्ञानदेव आहूजा द्वारा जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के संबंध में महिलाओं और छात्राओं के संबंध में बेहद घृणित बयान देना क्या भगवान राम का चरित्र है या तथा कथित संत आशाराम द्वारा स्त्रियों के प्रति व्यवहार राम की मर्यादा के अनुरुप है? या फिर महिलाओं को बच्चे पैदा करने वाली मशीन बताने वाले साक्षी महाराज मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पर्याय है?
महात्मा गाँधी जिनके अंतिम समय के शब्द भी हे राम! थे ऐसे महामानव की हत्या करने वाले नाथू राम गोडसे क्या आज के समय के राम है? या फिर लड़कियों का पीछा करने वाले, सत्ता का इस्तेमाल कर सरकारी कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले नेता तड़ीपार नेता अमित शाह आज के समय के राम है?
जे.एन.यु के कुलपति जगदीश कुमार द्वारा RSS/ABVP के दिशा-निर्देशन पर सुनिश्चित छात्रों को नोटीस जारी करके परेशान करना,जे.एन.यु की छवि राष्ट्रीय-स्तर पर मोदी सरकार के साथ मिलकर कलंकित करना क्या भगवान राम का चरित्र है? छात्रावास कीस समस्या से जुझ रहे छात्रों को झुगी-झोपड़ी के तब्बु बनाकर रहने के लिए मजबूर करना, छात्रवृत्ति को रोकने का प्रयास करना, जय भीम लिखने पर दलित छात्रों को नोटिस प्रदान करना या YEFDA संगठन के मुस्लिम छात्रों द्वारा गुजरात माँडल एवं गौरक्षको का पुतला बनाकर जलाने पर नोटीस जारी करके परेशान करना मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र है?
गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता कि किसी भी धारा के तहत प्रधानमंत्री का पुतला फूँकना गलत नहीं है हालाँकि NSUI आचार संहिता के तहत किसी भी प्रकार के पुतलादहन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं रहता है लेकिन जब से भारतीय लोकतन्त्र में मोदी सरकार चुनकर आती है तब से देश की अनगिनत समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है- कुछ इनके द्वारा समर्थित साप्रदायिक संगठनों द्वारा चर्च पर हमला करवाना, दलित बच्चों को जलाना, बिहार के परबत्ता नामक जगह पर 100 दलित महिलाओं का बलात्कार होना, गाय के नाम इन्सानीयत को खत्म करना, जो भारत के नौजवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते है उन दलित नौजवानों को कफन के लिए दो गज जमीन नही मिलना, जबरजस्ती से धर्म परिवर्तन करवाने के लिए घर वापसी का देश व्यापी स्तर पर कार्यक्रम चलाने पर मोदी जी का चुपी साधना, ऊना-काण्ड, गाय के नाम गौरक्षकों द्वारा कई कट्टरपन्थियों द्वारा अखलाक जैसे कई दलित-मुस्लमानों का निर्मम तरिके से हत्यायें करवाना, डेल्टा मेघवाल जैसी कई जगहों पर दलित उत्पीड़नों की घटनाओं का बढ़ना, बड़े संस्थानों में सवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लघन करके FTII जैसे बड़े जिम्मेदार संस्थाओं पर अयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त कर देना, हैदराबाद जैसे कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में रोहित वेमुला जैसे कई दलित-आदिवासियों को संस्थागत हत्या के लिए प्रशासन द्वारा मजबुर करना, सौ दिनों में कालाधन लाने का वादा करने वाला कालाधन लाना तो दूर की बात है इन्होनें BJP नेता विज्यामाल्या देश के 9000 हजार करोड़ रूपये लेकर भगा दिये जाने पर चुपी साधना और कुछ इनके नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही होना, एक वर्ष में दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाला दो लाख बेरोजगारों को रोजगार देने में नाकाम होना, देश के युवाओं का बेरोजगारी के दलदल में फँसने में बढ़ोत्तरी होना, देश के गरीब किसानों का ऋण माफ नही होने के कारण किसानों की आत्म-हत्याओं की संख्या का बढ़ना, कांग्रेस सरकार एवं अटल बिहारी की सरकार के समय अनेकों बार सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक होने के बावजूद उसका राजनीतीकरण नही हुआ किन्तु मोदी जी ने इसका पहली बार राजनीतीकरण करके इसका फायदा उत्तरप्रदेश के चुनावों में उठाने के लिए विजयदशमी के दिन चुनाव का बिगुल बजाने के लिए पहुँचना इत्यादि बढ़ती हुई समस्याओं के कारण मोदी जी का व्यवहार रावण तुल्य है।
इन सब बुराइयों की पोषण RSS है जिसकी स्थापना विजया दशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 को हुई थी तथा RSS द्वारा गाँधी और आम्बेडकर का पुतला दहन कहीं वर्षों तक किया गया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना विजया दशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 को हुई। विजयादशमी के दिन ही बी. आर. आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 धम्म परावर्तन दिवस मनाया। RSS की शोषणकारी मनुवादी व्यवस्था के विरोध में बी. आर. आम्बेडकर ने कहा कि मेरा जन्म महू में हुआ मेरी कर्मस्थली मुंबई और दिल्ली रही लेकिन में धम्म परावर्तम नागपुर में करूँगा ताकि गैर बराबरी वाली शोषणकारी व्यवस्था का अंत हो सके। गौरतलब है कि दीक्षा भूमि और RSS कार्यालय पास-पास ही स्थित है। विजया दशमी के दिन नागपुर मे प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते है लेकिन सभी मीडिया हाउस नागपुर में RSS के पथ संचलन कार्यक्रम को सुर्खियों का हिस्सा मनाते है लेकिन दीक्षा भूमि का कार्यक्रम सुर्खियों में नहीं रहता है।
विजया दशमी - नागपुर और महात्मा गाँधी का भी गहरा संबंध है। महात्मा गाँधी जी ने देश में कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करने तथा सांप्रदायिक उदासीनता ताकतों को भारत में कब्जा रोकने के लिए 1936 में नागपुर के निकट वर्धा में सेवा ग्राम आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम में महात्मा गाँधी ने अपने संघर्ष का महत्वपूर्ण समय 1936 - 1948 गुजारा। गाँधी जी के किसानों, गरीबों के किए गए कार्यों और आम्बेडकर के अछुतोद्धार के कार्यों से RSS तिलमिला उठा। ऐसे में RSS ने गाँधी की हत्या का षड्यंत्र रचा। जिसने 30 जनवरी 1948 को कामयाब हो गया। इस हत्या को गाँधीवध की संज्ञा दी। गाँधी जी कि हत्या के बाद हिंदू कोड बिल के बहाने 1949 में RSS ने पूरे देश में आम्बेडकर के पुतले फूँके गए।
RSS की सांप्रदायिक नीतियों और गलत कार्यों के मद्देनजर सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया। RSS विचारधारा और सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होने के कारण JNU - NSUI इकाई द्वारा नाथूराम गोडसे, आशाराम बापू, साक्षी महाराज, योगी आदित्यनाथ, ज्ञानदेव आहूजा, साध्वी प्रज्ञा, सासंद बाबूलाल, बाबा रामदेव अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन कार्यक्रम किया गया। जिन लोगों का पुतला दहन किया गया उन्होंने लोकतांत्रिक परम्परा और भारत राष्ट्र की विवधतामही संस्कृति का विरोध किया है। भारत और विश्व के सभी देशों में विरोध का एक प्रचलित तरीका पुतला दहन है। जिसका इस्तेमाल JNU NSUI इकाई द्वारा किया गया है। JNU NSUI इकाई का मानना है कि वर्तमान सरकार द्वारा झूठ और जुमलों की राजनीति की जा रही है। उच्च शिक्षा का बजट 55 फीसदी घटाकर छात्रों के समक्ष अनेक संकट पैदा किया जा रहा है। उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता और छात्रों पर पूरे देश में हमला किया रहा है। इन हमलों के विरोध में तथा वर्तमान सरकार की नीतियों के विरोध में JNU NSUI इकाई द्वारा पुतला दहन किया गया है।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र-संगठन मानवता के लिए खतरा बढाने वाले साम्प्रदायिक संगठन RSS का जितना विरोध करती है उतना ही पाकिस्तान, सीरिया, इराक और दुनियाँ के अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने वाले कट्टरपन्थीयों एवं ISIS का कड़े शब्दों में विरोध करती है। हमारे संगठन का विश्वास है कि आने वाले समय में सत्य की जीत होगी और असत्य की पराजय होगी। मोदीजी भले ही असत्य का सहारा लेकर सत्ता पर काबिज हुए हो। झूठे जूमलेबाज भाषणों के सहारे बनाये गये राजसिंहासन अन्त अवश्य होगा। इसके सन्दर्भ में हमारे हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ मुण्डकोपनिषद में कहां गया है कि- “सत्यमेव जयते नानृतम्” सत्य की जीत होती है, असत्य की नहीं ।
राममनोकर लोहिया जी ने भी कहा है कि “जिन्दा कौमें पाँचसाल का इन्तजार नही करती।“ इसलिए पूरे देश में मोदी सरकार के गलत कार्यों का पुतला जलाए तथा विविधतापूर्ण सशक्त-समर्थ भारत के निर्माण के लिए JNU – NSUI के साथ कदमताल करें। विजयदशमी के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन करते समय JNU NSUI के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य- एक्टिगं अध्यक्ष-अनिल मीणा, उपाध्यक्ष-सुनिता कुमारी, अध्यक्ष के उम्मीदवार रहे सनी धीमान, उपाध्यक्ष उम्मीदवार मोहीनी चौधरी, काउसलर उम्मीदवार मनीष कुमार मीणा, अशोक कुमार जे.एन.यु.एस.यु संयोजक मृत्युन्जय, सज्जाद हुसैन इत्यादि अनेक सक्रिय कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।
जय हिंद! – जय भारत!
भारतीय राष्ट्रीय छात्र सगंठन (NSUI) द्वारा तथाकथित मोदी सरकार द्वारा देश की शिक्षण व्यवस्था को तबाह करने तथा शिक्षा की स्वायत्ता पर हमला करने के कारण विजयी दशमी के दिन स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक RSS की विचारधारा और बडबोले नेताओं का पुतला फूंका। विरोध के इन तरीकों का सनातन काल से इस्तेमाल होता रहा है गौरतलब है कि 1945 में नारायण आर्ट द्वारा प्रकाशित और गोडसे द्वारा संपादित ‘अग्रणी’ पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर महात्मा गाँधी, बी.आर. अंबेडकर, सरदार पटेल आदि नेताओं का पुतला फूँकते हुए फोटो प्रकाशित किए गए।
आज वे लोग राष्ट्रीयता और भारत की बात करने वालों के विचार बेमानी लगते है। मुँह में राम और बगल में चुरी वाली हरकत करने वाले RSS की विचारधारा से जुड़े लोग उनका पुतला फूंकना आज के समय में बेहद जरुरी हो गया है। ये वे लोग है जिन्होंने सत्ता में आने के बाद भारत राष्ट्र की विविधतापूर्ण संस्कृति को समाप्त कर भारत सरकार को व्यक्ति विशेष की सरकार बनाकर प्रचार करना प्रारंभ कर दिया है। अब अखबारों में या टीवी पर कहीं भी भारत सरकार शब्द सुनने को कान तरस गए है। तानाशाही रुप से मोदी सरकार के ही जुमलों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
गौरतलब है कि इस सरकार द्वारा देश के शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम, स्वायत्तता पर लगातार हमला किया गया है। जिसका गवाह संपूर्ण राष्ट्र है। NIT कश्मीर, इलाहबाद – आगरा-अलीगढ़ विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, पूना फिल्म संस्थान, हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, IIT पूणे वे उदाहरण है जिनके बारे में हम लोग जानते है। ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण है जो पूरे भारत में फैले हुए है। इस सरकार ने सत्ता में आने के बाद अंबेडकर साहित्य को प्रकाशित करना बंद कर दिया है। प्रकाशन संस्थान, नेशनल बुक ट्रस्ट का सांप्रदायिककरण कर दिया है।
JNU NSUI इकाई द्वारा ज्ञानदेव आहूजा, योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्रज्ञा, नाथूराम गोडसे, अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का पुतला फूँकने के विरोध करने वालों से पूछना चाहते है कि क्या ज्ञानदेव आहूजा द्वारा जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के संबंध में महिलाओं और छात्राओं के संबंध में बेहद घृणित बयान देना क्या भगवान राम का चरित्र है या तथा कथित संत आशाराम द्वारा स्त्रियों के प्रति व्यवहार राम की मर्यादा के अनुरुप है? या फिर महिलाओं को बच्चे पैदा करने वाली मशीन बताने वाले साक्षी महाराज मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पर्याय है?
महात्मा गाँधी जिनके अंतिम समय के शब्द भी हे राम! थे ऐसे महामानव की हत्या करने वाले नाथू राम गोडसे क्या आज के समय के राम है? या फिर लड़कियों का पीछा करने वाले, सत्ता का इस्तेमाल कर सरकारी कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले नेता तड़ीपार नेता अमित शाह आज के समय के राम है?
जे.एन.यु के कुलपति जगदीश कुमार द्वारा RSS/ABVP के दिशा-निर्देशन पर सुनिश्चित छात्रों को नोटीस जारी करके परेशान करना,जे.एन.यु की छवि राष्ट्रीय-स्तर पर मोदी सरकार के साथ मिलकर कलंकित करना क्या भगवान राम का चरित्र है? छात्रावास कीस समस्या से जुझ रहे छात्रों को झुगी-झोपड़ी के तब्बु बनाकर रहने के लिए मजबूर करना, छात्रवृत्ति को रोकने का प्रयास करना, जय भीम लिखने पर दलित छात्रों को नोटिस प्रदान करना या YEFDA संगठन के मुस्लिम छात्रों द्वारा गुजरात माँडल एवं गौरक्षको का पुतला बनाकर जलाने पर नोटीस जारी करके परेशान करना मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र है?
गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता कि किसी भी धारा के तहत प्रधानमंत्री का पुतला फूँकना गलत नहीं है हालाँकि NSUI आचार संहिता के तहत किसी भी प्रकार के पुतलादहन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के पक्ष में नहीं रहता है लेकिन जब से भारतीय लोकतन्त्र में मोदी सरकार चुनकर आती है तब से देश की अनगिनत समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है- कुछ इनके द्वारा समर्थित साप्रदायिक संगठनों द्वारा चर्च पर हमला करवाना, दलित बच्चों को जलाना, बिहार के परबत्ता नामक जगह पर 100 दलित महिलाओं का बलात्कार होना, गाय के नाम इन्सानीयत को खत्म करना, जो भारत के नौजवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते है उन दलित नौजवानों को कफन के लिए दो गज जमीन नही मिलना, जबरजस्ती से धर्म परिवर्तन करवाने के लिए घर वापसी का देश व्यापी स्तर पर कार्यक्रम चलाने पर मोदी जी का चुपी साधना, ऊना-काण्ड, गाय के नाम गौरक्षकों द्वारा कई कट्टरपन्थियों द्वारा अखलाक जैसे कई दलित-मुस्लमानों का निर्मम तरिके से हत्यायें करवाना, डेल्टा मेघवाल जैसी कई जगहों पर दलित उत्पीड़नों की घटनाओं का बढ़ना, बड़े संस्थानों में सवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लघन करके FTII जैसे बड़े जिम्मेदार संस्थाओं पर अयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त कर देना, हैदराबाद जैसे कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में रोहित वेमुला जैसे कई दलित-आदिवासियों को संस्थागत हत्या के लिए प्रशासन द्वारा मजबुर करना, सौ दिनों में कालाधन लाने का वादा करने वाला कालाधन लाना तो दूर की बात है इन्होनें BJP नेता विज्यामाल्या देश के 9000 हजार करोड़ रूपये लेकर भगा दिये जाने पर चुपी साधना और कुछ इनके नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही होना, एक वर्ष में दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाला दो लाख बेरोजगारों को रोजगार देने में नाकाम होना, देश के युवाओं का बेरोजगारी के दलदल में फँसने में बढ़ोत्तरी होना, देश के गरीब किसानों का ऋण माफ नही होने के कारण किसानों की आत्म-हत्याओं की संख्या का बढ़ना, कांग्रेस सरकार एवं अटल बिहारी की सरकार के समय अनेकों बार सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक होने के बावजूद उसका राजनीतीकरण नही हुआ किन्तु मोदी जी ने इसका पहली बार राजनीतीकरण करके इसका फायदा उत्तरप्रदेश के चुनावों में उठाने के लिए विजयदशमी के दिन चुनाव का बिगुल बजाने के लिए पहुँचना इत्यादि बढ़ती हुई समस्याओं के कारण मोदी जी का व्यवहार रावण तुल्य है।
इन सब बुराइयों की पोषण RSS है जिसकी स्थापना विजया दशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 को हुई थी तथा RSS द्वारा गाँधी और आम्बेडकर का पुतला दहन कहीं वर्षों तक किया गया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना विजया दशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 को हुई। विजयादशमी के दिन ही बी. आर. आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 धम्म परावर्तन दिवस मनाया। RSS की शोषणकारी मनुवादी व्यवस्था के विरोध में बी. आर. आम्बेडकर ने कहा कि मेरा जन्म महू में हुआ मेरी कर्मस्थली मुंबई और दिल्ली रही लेकिन में धम्म परावर्तम नागपुर में करूँगा ताकि गैर बराबरी वाली शोषणकारी व्यवस्था का अंत हो सके। गौरतलब है कि दीक्षा भूमि और RSS कार्यालय पास-पास ही स्थित है। विजया दशमी के दिन नागपुर मे प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते है लेकिन सभी मीडिया हाउस नागपुर में RSS के पथ संचलन कार्यक्रम को सुर्खियों का हिस्सा मनाते है लेकिन दीक्षा भूमि का कार्यक्रम सुर्खियों में नहीं रहता है।
विजया दशमी - नागपुर और महात्मा गाँधी का भी गहरा संबंध है। महात्मा गाँधी जी ने देश में कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करने तथा सांप्रदायिक उदासीनता ताकतों को भारत में कब्जा रोकने के लिए 1936 में नागपुर के निकट वर्धा में सेवा ग्राम आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम में महात्मा गाँधी ने अपने संघर्ष का महत्वपूर्ण समय 1936 - 1948 गुजारा। गाँधी जी के किसानों, गरीबों के किए गए कार्यों और आम्बेडकर के अछुतोद्धार के कार्यों से RSS तिलमिला उठा। ऐसे में RSS ने गाँधी की हत्या का षड्यंत्र रचा। जिसने 30 जनवरी 1948 को कामयाब हो गया। इस हत्या को गाँधीवध की संज्ञा दी। गाँधी जी कि हत्या के बाद हिंदू कोड बिल के बहाने 1949 में RSS ने पूरे देश में आम्बेडकर के पुतले फूँके गए।
RSS की सांप्रदायिक नीतियों और गलत कार्यों के मद्देनजर सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया। RSS विचारधारा और सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होने के कारण JNU - NSUI इकाई द्वारा नाथूराम गोडसे, आशाराम बापू, साक्षी महाराज, योगी आदित्यनाथ, ज्ञानदेव आहूजा, साध्वी प्रज्ञा, सासंद बाबूलाल, बाबा रामदेव अमित शाह और नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन कार्यक्रम किया गया। जिन लोगों का पुतला दहन किया गया उन्होंने लोकतांत्रिक परम्परा और भारत राष्ट्र की विवधतामही संस्कृति का विरोध किया है। भारत और विश्व के सभी देशों में विरोध का एक प्रचलित तरीका पुतला दहन है। जिसका इस्तेमाल JNU NSUI इकाई द्वारा किया गया है। JNU NSUI इकाई का मानना है कि वर्तमान सरकार द्वारा झूठ और जुमलों की राजनीति की जा रही है। उच्च शिक्षा का बजट 55 फीसदी घटाकर छात्रों के समक्ष अनेक संकट पैदा किया जा रहा है। उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता और छात्रों पर पूरे देश में हमला किया रहा है। इन हमलों के विरोध में तथा वर्तमान सरकार की नीतियों के विरोध में JNU NSUI इकाई द्वारा पुतला दहन किया गया है।
भारतीय राष्ट्रीय छात्र-संगठन मानवता के लिए खतरा बढाने वाले साम्प्रदायिक संगठन RSS का जितना विरोध करती है उतना ही पाकिस्तान, सीरिया, इराक और दुनियाँ के अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने वाले कट्टरपन्थीयों एवं ISIS का कड़े शब्दों में विरोध करती है। हमारे संगठन का विश्वास है कि आने वाले समय में सत्य की जीत होगी और असत्य की पराजय होगी। मोदीजी भले ही असत्य का सहारा लेकर सत्ता पर काबिज हुए हो। झूठे जूमलेबाज भाषणों के सहारे बनाये गये राजसिंहासन अन्त अवश्य होगा। इसके सन्दर्भ में हमारे हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ मुण्डकोपनिषद में कहां गया है कि- “सत्यमेव जयते नानृतम्” सत्य की जीत होती है, असत्य की नहीं ।
राममनोकर लोहिया जी ने भी कहा है कि “जिन्दा कौमें पाँचसाल का इन्तजार नही करती।“ इसलिए पूरे देश में मोदी सरकार के गलत कार्यों का पुतला जलाए तथा विविधतापूर्ण सशक्त-समर्थ भारत के निर्माण के लिए JNU – NSUI के साथ कदमताल करें। विजयदशमी के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन करते समय JNU NSUI के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य- एक्टिगं अध्यक्ष-अनिल मीणा, उपाध्यक्ष-सुनिता कुमारी, अध्यक्ष के उम्मीदवार रहे सनी धीमान, उपाध्यक्ष उम्मीदवार मोहीनी चौधरी, काउसलर उम्मीदवार मनीष कुमार मीणा, अशोक कुमार जे.एन.यु.एस.यु संयोजक मृत्युन्जय, सज्जाद हुसैन इत्यादि अनेक सक्रिय कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।
जय हिंद! – जय भारत!