मैं हिन्दी की वो बेटी हूँ, जिसे उर्दू ने पाला है

 लता हाया (हया)



मैं हिन्दी की वो बेटी हूँ, जिसे उर्दू ने पाला है
अगर हिन्दी की रोटी है, तो उर्दू का निवाला है
मुझे है प्यार दोनों से, मगर ये भी हकीकत है
लता जब लडखडाती है, तो हाया ने सम्हाला है

मैं जब हिन्दी से मिलती हूँ, तो उर्दू साथ आती है
और जब उर्दू से मिलती हूँ, तो हिन्दी घर बुलाती है
मुझे दोनों ही प्यारी है, मैं दोनों की दुलारी हूँ.

इधर हिन्दी-सी माई है, उधर उर्दू-सी खाला है,
यहीं थीं बेटियाँ दोनों, यहीं पे जन्म पाया है.
सियासत ने इन्हें हिन्दू और मसलिम बनाया है.

मुझे दोनों की हालत एक-सी मालूम होती है,
कभी हिन्दी पे बंदिश है, तो कभी उर्दू पे ताला है.
भले अपमान हिन्दी हो, या तौहीन उर्दू की
खुदा की है कसम हर हिज्र, हया ये सह नहीं सकती
मैं दोनों के लिए लडती हूँ, और दावे से कहती हूँ
मेरी हिन्दी भी उत्तम है, मेरी उर्दू भी आला है.