नर्मदा घाटी के हज़ारों की संख्या में लोगो ने किया धार जेल का घेराव, कहा गैर कानूनी गिरफ्तारी और सरकार का दमन नही सहेंगे

मेधा पाटकर को इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के चार घंटे बाद, इंदौर से बड़वानी जाने के क्रम में गिरफ्तार कर शाम 7:30 बजे धार जेल ले जाया गया, शाम तक नहीं पेश किया कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने  
 
नर्मदा घाटी के हज़ारों की संख्या में लोगो ने किया धार जेल का घेराव, कहा गैर कानूनी गिरफ्तारी और सरकार का दमन नही सहेंगे 
 
सैकड़ों नर्मदा के विस्थापितों ने दी गिरफ्तारी, सांकेतिक गिरफ्तारी के बाद सबको रिहा किया धार पुलिस ने 
 
इंदौर हाई कोर्ट, नर्मदा विस्थापितों की याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त 2017 के दिन करेगी 
 
27 जुलाई से चल रहा अनिश्चितकालीन उपवास आज भी जारी, 7 अगस्त के दिन मेधा पाटकर व 9 अन्य अनशनकारियों के गिरफ्तारी के बाद जुड़े 10 अन्य साथी 
 
27 जुलाई से अनशन पर बैठी भगवती बहन और रुकमनी बहन के साथ अनशन में जुड़े 10 साथियों का आज तीसरा दिन 
 
बड़वानी, मध्य प्रदेश | 10 अगस्त 2017 : कल दोपहर में अस्पताल से रिहाई के 4 घंटे बाद मेधा पाटकर को दुबारा पुलिस ने इंदौर बड़वानी रास्ते पर घेरा और इसबार धाराओं की सूची के साथ उनको धार जेल में शाम 7:30 बजे बंद कर दिया। जिसके खिलाफ आज पूरे गाँव गाँव से अहिंसक उदगार आया और हजारों की संख्या में लोग अपना विरोध प्रदर्शन करने धार जेल पहुंचे। घंटों बातचीत के बाद कोई समाधान ना होता देख घाटी के सैकड़ों लोगों ने मेधा पाटकर व अपने चार अन्य लोगों के गिरफ्तारी के विरोध में सामूहिक गिरफ्तारी दी। पुलिस ने सभी की सांकेतिक गिरफ़्तारी लेते हुए उन्हें शाम में रिहा कर दिया। 
 
आज शाम तक मेधा पाटकर को कोर्ट में उपस्थित नहीं किया गया था, और पहले से अलग अलग झूठे आरोपों में गिरफ्तार करने के बाद कई अन्य धाराएं जोड़ दी गयी है। पिछले 10 दिन भारत के इतिहास में नर्मदा घाटी के लोगों की जलहत्या के लिए सरकारी नियोजन की तरह याद रखा जाएगा।
 
इसी के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन पुलिस के आरोपों का खंडन करते हुए जाहिर करना चाहती है कि नर्मदा घाटी के लोग पिछले 32 सालों से अहिंसक सत्याग्रही मार्ग पर चलते आ रहे हैं और शासन को उसकी गलतियों और चूक से अवगत कराते आये है। नर्मदा बचाओ आंदोलन हमेशा नर्मदा घाटी के लोगों के हक़ के लिए संघर्ष करता आया है और करता रहेगा। हिंसा करना सरकारों का रवैया रहा है जैसा कि हम इस बार ही नही इससे पहले भी कई बार देख चुके हैं। कोई भी सरकार सेहत को चिंतित होकर कील लगे डंडे लेकर पुलिस नही भेजती अगर उनकी मंशा हिंसा के इतर होती। सरकार लोगों के ऊपर दमन कर रही है और जब नर्मदा घाटी के लोगों ने सरकार के झूठ को दुनिया के सामने उजागर कर दिया तो वो बौखलाहट में मेधा बहन और अन्य साथियों पर हिंसक दमन करने को उतारू हो गयी है। 
 
हमारा आज भी कहना है और हम यह साबित कर चुके है कि घाटी में लाखों लोग पुनर्वास से वंचित है अभी भी, लाखो पेड़ डूब में आ रहे है, मंदिर, मस्जिद, शालाएं, स्थापित गांव, लाखों मवेशी व कई अन्य जीव डूबने वाले हैं। ऐसी त्रासदी पर कौन सा उत्सव मनाना चाहती है मध्य प्रदेश, गुजरात और केंद्र सरकार। क्या सिर्फ भारत में अब सत्ता की राजनीति रह गयी है? क्या कभी ग्राम सभा की लोकनीति और वास्तविक न्याय की पराकाष्ठा स्थापित हो पाएगी? आज भी नर्मदा घाटी के लोग महात्मा गांधी, अंबेडकर के सपनों और उसूलों पर चलते हुए देखना चाहते है। 
 
ऐसे समय में सरकार को झूठे आरोप लगाने से बाज आना चाहिए और 32 सालों के अहिंसक सत्याग्रही आंदोलन के सामने नतमस्तक होकर प्रेरणा लेते हुए लोगों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। हम यह सरकार की बेशर्मी भरे कदमों के बाद भी उनसे मांग करते हैं कि फौरन मेधा पाटकर व अन्य गिरफ्तार किये गए साथियों को बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए और बांध के गेट्स फौरन खोलकर मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी की जनता का सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास किया जाए।
 
इसी दौरान आज इंदौर हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई को आई विस्थापितों की याचिका की अगली सुनवाई 21 अगस्त के दिन तय की गयी।
 
 
कैलाश अवस्या, मुकेश भगोरिया, श्यामा बहन, केसर बहन, मोहन भाई
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