पुनर्वास में पैकेज भुगतान में धाधली एव भ्रष्टाचार !

130 मीटर से ऊपर डूब नहीं बड़ सकती|


उपरी बांधो से ओंकारेश्वर इंदिरा सागर के लाभ सूखाग्रस्त किसानो को मिले ना की गुजरात की कम्पनियों को |


प्रेस विज्ञप्ति: बडवानी | 24/09/2017: नर्मदा घाटी के किनारे गाँव में सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के साथ 900 करोड़ के पैकेज की घोषणा करने वाली शासन बहुत बड़ी धोकाधड़ी कर रही है| पैकेजेस के अमल में अन्धाधुन तो है ही, पर पैकेजेस की घोषनाये एक प्रकार से और, आदेश दुसरे प्रकार से आने के बाद एक-एक सरकारी कर्मचारी इस प्रकार से बर्ताव कर रहे है की वे विस्थापितों को न केवल अपमानित कर रहे है, पर उनके हक छिनने में जरा भी कसर नहीं रख रहे है| निसरपुर का ही उदाहरण ले तो निम्नलिखित व्यक्तियों को दिए हुए घर प्लाट जानकी यादव नाम के पुनर्वास अधिकारी ने अपने हाथो से वापस छीन लिए जिन लोगो को घर प्लाट दिए गए है और उनको घर का मुआवजा मिला है, यानी उनके मकान भूअर्जित हुए है, उन सभी लोगो को और हर पट्टेधारी को 5.80 लाख की घोषणा हुई है, लेकिन अभी तक नहीं दिए गए है|  उस मुआवजे की राशी के पैसे कइयो को, इनमे डूब में आये हुए मकान और परिवार भी सम्मिलित है, यह विशेष बात है| ये बात केवल धार जिले तक सिमित नहीं है, बड़वानी जिले में भी 5.80 लाख का पैकेज किसको मिल रहा है और किसको नहीं, इसमें पूरी अँधाधुंद है, निकर्ष सही नहीं लगाये है BPL नहीं है, ऐसे लोगो को भी 5.80 लाख दिए गए है, और साथ साथ 5.80 लाख एक मुश्त राशी के रूप में देने की घोषणा 5 जून के आदेश में परिवर्तित होने के बाद भी 3 लाख पहले और घर तोड़ने के बाद 2.80 लाख इन दो किश्तो में बाटी गयी, इसी में गड़बड़ घोटाला हो रहा है, और अब 2.20 लाख में से जो भी पहले लोगो को मिला होगा वो भी काट लेने से समायोजन करने से कई लोगो को 3 लाख से ऊपर कुछ भी नहीं मिलने वाला कई गरीबो के मकान ऐसे है की जो नए घर प्लाट में नहीं बन सकते है, जब तक लाखो रुपयों की राशी खर्च करके भराव और समतलीकरण नहीं होता|

13 सितम्बर के रोज भोपाल में रजनीश वैश जी प्रमुख सचिव NVDA के साथ ढाई घंटे की कड़ी बहस हुई थी उसमे उन्होंने मंजूर किया था की समतलीकरण का जिम्मा NVDA का है और जो भी NVDA के पास आएगा उसको समतलीकरण कर के ही तत्काल मिलेगा ऐसी बात धरातल पर बिलकुल भी नहीं दिख रही है बात ये भी है की कई मकान जो छुटे है सर्वेक्षण के लिए वो भी डूब में आ रहे है निसरपुर के कहार समाज का ही उदाहरण सबसे पहले ले क्योकि इस गाँव में सबसे अधिक डूब आई है तो वहा ऐसे मकान छुटने वालो के नाम है जो 30 साल और 50 साल पहले बने हुए मकान सर्वेक्षण से छुटने के बाद कई बार आवेदन दे चुकने के बाद भी अपना अधिकार नहीं मिला है ये बात ध्यान में लेने जैसी है और तो और  अभी जिनके मकान और दूकान डूबे है उनको वैकल्पिक आवास या दूकान न प्राप्त होने के कारण वो बेरोजगार और बेघरबार हो गए 5.80 लाख की राशी मात्र किराये में जायेगी| इस प्रकार से किराये के घर उन्हें न डूबे हुए परिवारों ने जो भी मकान निसरपुर के या अन्य पुनर्वास स्थलों में बनाए है उसी में किराये में रहने में चली जाएगी यह चित्र दिख रहा है आज भी निसरपुर या अन्य बसाहटो में नर्मदा से सिधा उठा कर पानी क्यों नहीं आ रहा है?, इस सवाल का रजनीश वैश का जवाब था की हमारी तैयारी चल रही है हमें मंजूर है यह पानी आना ही चाहिये और अगर वैश जी का ही वक्तव्य यह बता चूका है की बची हुई जमीनों की सिंचाई और पाइप लाइने तोड़ी नहीं जायेगी और ट्रिब्यूनल में जो भी लिखा हो जलाशय से पानी मध्यप्रदेश के गाँव में आना जारी रहेगा पाइप लाइने काटी नहीं जाएगी तो फिर बसाहटो में सीधे नर्मदा से पानी न लाते हुए ये दूर दूर के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से टेंकर से सिंटेक्स टंकी में अपर्याप्त पानी भरने की साजिश क्यों इन तमाम सवालो की व्यस्तता के साथ अब रंग रंगोटी की हुई टंकिया और भवन इसका आयुष्य कितना होगा और घरो का भी ये सवाल आज भी अनुत्तरित है मानित और IIT के विशेष जाँच में जो 2014 से 16 में की गयी स्पष्ट लिखा है की काली कपास की मिट्टी में न भवन बनने थे न घर और ये निर्माण कार्य सम्बन्धी शासकीय नियमो के खिलाफ है और फिर भी यही पुनर्वास स्थल चुने गए और भवनों में जो दरारे आई वो अब कुछ सीमेंट लगा कर मिटा कर रंग रंगोटी की गयी वसाहट की ये अवस्था आज ये बता रही है की पूरी जिंदगी निकालने के लिए जिस प्रकार का कार्य होना था वो भ्रष्टाचार के कारण नहीं हुआ है और झा कमीशन का रिपोर्ट अपनी जगह होते हुए आज भी उस पर कार्यवाही की मांग नर्मदा बचाओ आन्दोलन राज्य शासन से कर रहा है और जिन जिन दलालों के नाम झा आयोग की रिपोर्ट में आये है उन भी कार्यवाही की मांग कर रहा है आज भी चित्र यही है की दलालों की चांदी बनना रुका नहीं है लेकिन अब आन्दोलन ने गाँव गाँव में जहा जहा पड़े लिखे युवा साथी है और अभ्यास करते हुए निस्वार्थी रूप से लोगो को मदद करने के लिए तैयार है वहाँ सरदार सरोवर पुनर्वास मुफ्त सहायता केंद्र खोलना शुरू कर दिया है हम चाहते है की देश भर के लोग यहाँ आये और देखे की पुनर्वास के नाम पर ट्रिब्यूनल का फैसला राज्य की निति और नए पैकजेस का अमल किस तरह से हो रहा है और कहा तक हो रहा है और अगर ये 900 करोड़ के पैकेज में से आधा पैसा टीन शेड अस्थाई पुनर्वास के हर मुद्दे पर खर्च होकर तिजोरी खली हुई है तो बंचे हुए करोड़ो रुपयों से भी क्या स्थाई पुनर्वास हर विस्थापित को मिल पायेगा या नहीं इसकी जाँच अब शुरू हो चुकी है क्योकि ये नया दौर है आज 130 मी. पर रुका हुआ पानी आगे नहीं जाना चाहिये ये बात इसी से सुनिश्चित होती है क्योकि आज तक जो भी डूब में आ चूका है हिस्सा इसी मोरकटटा का बिजासन का बोरखेडी का निसरपुर का या और गाँव का उस पुरे हिस्से में आये भुगतने वाले परिवारों की जाँच से ये पता चल रहा है की उनको जो पात्रता अनुसार मिलना था वो नहीं मिला है दूसरी जगह आजीविका के बगैर पुनर्वास हुआ यह कह ही नहीं सकते यह बात एक्शन प्लान 1993 से सुप्रीम कोर्ट के 2000 के जजमेंट तक हर डॉक्यूमेंट में लिखी हुई होते हुए भी न दुकानदारों की दूसरी जगह दूकान शुरू हुई है न मछुवारो को घोषणा में आने के बावजूद अपने प्रस्तावित सहकारी सोसाइटीयो का पंजियन प्राप्त हुआ है और इसीलिए जरुरी है की जलाशयों पर निर्भर मेहनत पर निर्भर और अन्य व्यवसायो पर निर्भर तमाम भूमिहीनों को दूसरी आजीविका सुनिश्चित करे तक डुबाना नहीं चाहिये इसीलिए आज के आगे पानी भरने की कोई जरुरत न होते हुए ऊपर के बंधो के क्षेत्र में जो सूखाग्रस्त किसान हे उनको पानी दिया जाए ना की सरदार सरोवर में भराया जाए|

हम श्री कमलनाथ जी कांग्रेस के नेता के इस मुद्दे पर आये हुए बयान का स्वागत करते है पर साथ साथ हमारी मांग है की सरदार सरोवर के कुछ गेट आज भी खुलने चाहिये ताकि आज तक जो पानी भरा है उसके आगे पानी न आये और हाहाकार न मचे जिसे गैर क़ानूनी और अन्याय पूर्ण साबित करने की अब कोई जरुरत नहीं रही वह तो हो ही चूका है भले ही प्रधानमंत्री ने फर्जी लोकार्पण का कार्य किया जो भी बिना किसी मुख्यमंत्री के और 2000 वाराणसी के साधुओ के भी अनुपस्थिती में लेकिन आज गुजरात के किसान और विस्थापित भी नर्मदा के पानी से वंचित होते हुए अब जापान के प्रधानमंत्री ने आकर जो सुजुकी कारखाना लगाना तय किया है उस कारखाने को भी नर्मदा का पानी ही मिलेगा यह कहा तक न्यायपूर्ण है और इसीलिए जितनी जलराशी अब उपलब्ध है उतनी जलराशी पहले कच्छ और स्वराष्ट्र के सुखाग्रस्तो के लिए गुजरात के किसानो के लिए उपयोग में लाइ जाए इसके हम पक्ष में है हर गुजरात के विस्थापितों के पुनर्वास स्थल पर सरदार सरोवर का ही पानी पहुचाया जाए केनाल से या पाइप लाइनों से इसके भी हम पक्ष में है वैसी बात महाराष्ट्र में नहीं हो सकती लेकिन मध्यप्रदेश में संभव हे क्योकि बसाहटे 8 की.मी. से अधिक दुरी पर नर्मदा से नहीं है लेकिन ये सब न करते हुए कार्पोरेट्स की तरफ नर्मदा का सरदार सरोवर का पानी मुड़ना एक बहुत बड़ी साजिश है, जिसका हम धिक्कार करते है|

राहुल यादव, देवराम कनेरा, सुखदेव पाटीदार, केलाश यादव, मेधा पाटकर