भाजपा राज में घटी न्यूनतम मजदूरी

इस बार प्रदेश के विभिन्न उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों के वेतन में बढोत्तरी की जगह गिरावट आयी है। सरकारी आंकड़ो के अनुसार इंजीनियरिंग उद्योग में काम करने वाले मजदूरों के वेतन में करीब 120 रू0 प्रतिमाह और अन्य 59 अनुसूचित उद्योगों में कार्यरत अकुशल, अर्द्धकुशल और कुशल श्रमिकों के वेतन में 30 रू0 से लेकर 35 रू0 तक की कमी हुई है। गौरतलब हो कि हर वर्ष पूरे प्रदेश में 59 शड्यूल उद्योगों में काम करने वाले संगठित और ठेका मजदूर 30 सितम्बर का बेसब्री से इंतजार करते है क्योंकि इस तारीख को न्यूनतम वेतन में हर छमाही होने वाली वेतनवृद्धि होती है। सरकार द्वारा हर वर्ष मूल वेतन के अलावा 31 मार्च व 30 सितम्बर को महंगाई सूचकांक के हिसाब से डीए में वृद्धि की जाती है। यह महंगाई सूचकांक राष्ट्रीय महंगाई वृद्धि के अनुसार तय होता है। लेकिन इस बार मोदी सरकार की अद्भुत आकंड़ेबाजी के कारण इस महंगाई सूचकांक में वृद्धि की जगह गिरावट दिखी यानी सरकार के अनुसार पिछले छः माह में महंगाई बढ़ने की जगह घट गयी है। सच्चाई सभी लोग जानते है लगातार महंगाई बढ़ रही है बाबजूद इसके महंगाई में कमी की यह आकंड़ेबाजी फर्जीवाड़ा है। यू0 पी0 वर्कर्स फ्रंट ने इस पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि कारपोरेट की चाकरी में लगी मोदी सरकार मजदूरों पर चैतरफा हमला करने में लगी है। पहले से ही बेहद कम वेतन पर जी रहे श्रमिकों के वेतन में हुई यह गिरावट उनके जीवन को और भी बुरी स्थिति में ले जायेगी। वर्कर्स फ्रंट ने सभी टेªड यूनियन्स और मजदूरों से अपील की है कि सरकार के इस हमले के खिलाफ प्रतिवाद में उतरे। 


दिनकर कपूर 
प्रदेश अध्यक्ष 
यू0 पी0 वर्कर्स फ्रंट