कश्मीर में कर्फ्यू तोड़ मुसलमानों ने बचाई अमरनाथ तीर्थयात्रियों की जान

कश्मीर में कर्फ्यू तोड़ मुसलमानों ने बचाई अमरनाथ तीर्थयात्रियों की जान


शायर नजीर अकबराबादी की कविता आदमीनामा  की पंक्तियां हैं –

यां आदमी पै जान को वारे है आदमी

और आदमी पै तेग को मारे है आदमी

पगड़ी भी आदमी को उतारे है आदमी

बिल्कुल इसी तर्ज पर सारे उपद्रव, मारपीट और विरोध प्रदर्शन के बीच कश्मीर से ऐसी खबर सामने आई है जिसने तय कर दिया है कि सारे जात-पात और मजहब से ऊपर जो चीज है, वो है- इंसानियत. और अगर इंसानियत को बचाए रखने के लिए कुछ सबसे जरूरी है तो वो है इंसान की जान बचाना.

कश्मीर में अभी तक हुई हिंसा में 34 लोग मर चुके हैं. इनमें 33 लोग कश्मीर के रहने वाले और एक पुलिस वाला है. पर बुधवार को हुई मार्मिक घटना में कर्फ्यू की पाबंदी तोड़कर कश्मीर के मुसलमानों ने अमरनाथ जा रहे तीर्थयात्रियों को बचाया.

अमरनाथ यात्रियों को एक मिनी बस ले जा रही थी. अनंतनाग जिले के बिजबेहारा कस्बे के पास उसका एक्सीडेंट हो गया. जिसमें ड्राइवर की मौत हो गई और करीब दस लोग घायल हो गए. इसके बाद आस-पास के मुसलमान अपना गम भूल गए और उन्होंने घायलों को बचाया. और उन्हें अस्पताल ले गए.

चूंकि कश्मीर में कर्फ्यू लगा हुआ है, इसलिए जब जम्मू-श्रीनगर हाइवे नंबर 1A पर एक्सीडेंट हुआ, हाइवे पर कोई नहीं था. पर एक्सीडेंट का पता चलते ही बिजबेहरा टाउन के लोग कर्फ्यू तोड़ते हुए एक्सीडेंट वाली जगह पर भागे. स्थानीय मुस्लिम अपनी गाड़ियों में बिठाकर तीर्थयात्रियों को अस्पताल ले गए. कुछ लोगों को श्रीनगर ले जाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया.

ड्राइवर की मौत के साथ अब तक अमरनाथ यात्रा में एक्सीडेंट से मरने वालों की संख्या दो हो गई है. पहले भी एक एक्सीडेंट में एक तीर्थयात्री की मौत हो गई थी और 20 लोग घायल हुए थे.

बुरहान के मारे जाने से फैली हिंसा में अब तक 34 लोग मर चुके हैं.  मरे 34 लोगों में से 32 लोग केवल 4 जिलों अनंतनाग, शोपियां, कुलगाम और पुलवामा से हैं. दो दिन पहले ही वहां दो प्रदर्शनकारियों को मारा गया था और माहौल तनाव में था.

इतनी हिंसा और डर वाले माहौल के बावजूद आस-पास के मुसलमान का एक्सीडेंट के बाद हाथ पर हाथ बांधे नहीं रहना और घायल तीर्थयात्रियों को अस्पताल पहुंचाना दिल को छू लेने वाली बात है.

एक आदमी, जो वहां मौजूद था, उसने कहा-

उन लोगों ने बस मानवता की पुकार सुनी.

वहां रहने वाले एक आदमी का इस घटना के बाद कहना था-

ये कश्मीरियों की खासियत है, हम बचाने के लिए लड़ते जरूर हैं.

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