आजादी के 70 साल बाद भी जुल्म-ज्यादती का शिकार है बहुजन समाज- मायावती


आजादी के 70 साल बाद भी जुल्म-ज्यादती का शिकार है बहुजन समाज- मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से दलितों के प्रति हीन व जाति भावना त्यागकर उनकी सुरक्षा व उनके आत्म सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा करने की मांग करते हुए कहा कि केवल दलितों के घर खाना खाने से उस शोषित-पीड़ित समाज के लोगों का अंतत: कुछ भी भला होने वाला नहीं है। इस प्रकार की ही केवल नाटकबाजी का ही परिणाम है कि इन वर्गों के लोग आजादी के सत्तर वर्षों के बाद भी जुल्म ज्यादती व आतंक के शिकार रहे हैं।
उन्होने आगे कहा, "भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा आज उनके लखनऊ प्रवास के दौरान पार्टी के एक दलित सांसद के घर जाकर खाना खाने को केवल एक राजनीतिक नाटकबाजी व अखबारों की सुर्खियां बटोरने की कवायद बताते हुए मायावती जी ने कहा कि इसी प्रकार की नाटकबाजी कांग्रेस पार्टी के नेतागण भी पहले लगातार करते रहे हैं, परंतु दलितों की सुरक्षा व उनके आत्म सम्मान व स्वाभिमान के साथ-साथ उनको उनका सवैंधानिक व मानवीय हक देने के मामले में कांग्रेस व भाजपा दोनों एक ही थाली के चट्टे-बट्टे साबित हुए हैं।"
 
उन्होने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ही पार्टियां केवल किस्म-किस्म की नाटकबाजी करके दलितों का वोट हासिल करने की जुगत में लगी रहती है जबकि खासकर भाजपा और आरएसएस व उनके सहयोगी संगठन के कट्टरवादी लोग इन मजलूमों पर लगातार जुल्म-ज्यादती व किस्स किस्म के बर्बर व्यवहार करते रहे हैं। राज्य सरकारें इन मामलों की लगातार अनदेखी करती रहती हैं। 
इस प्रकार दलितों के घर जाना, उनके घर खाना-पीन आदि केवल दलितों का वोट बांटकर उनका वोट हासिल करने की स्वार्थ की राजनीति व केवल नाटकबाजी है। इसके पीछे समाज में सुधार व सामाजिक परिवर्तन की मूल भावना का थोड़ा भी अंश नहीं होता है। खास भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बारे में बीएसपी का कहना है कि गुजरात के ऊना दलित काण्ड ने आखिर उनको उद्धेलित क्यों नहीं किया?