मशहूर मौलाना का आईएमएसडी की तीन तलाक़ और हलाला विरोधी मुहीम को पूरा समर्थन

 

9 मई 2017

प्रेस रिलीज़
(आईएमएसडी का मुंबई प्रेस कांफ्रेंस में जारी किया गया बयान)

मशहूर मौलाना सैय्यद शहाबुद्दीन सलफ़ी फिरदौसी का आईएमएसडी की तीन तलाक़ और हलाला विरोधी मुहीम को पूरा समर्थन

आईएमएसडी तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओ और उनके पक्ष मैं तीन मुस्लिम महिला संगठनों की सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं (पेटिशन्स) का पूरी तरह से समर्थन करता है। आईएमएसडी इस बात का स्वागत करता है कि इन याचिकाओं की सुनवाई 11 से 19 मई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधानिक बेंच करने वाला है और आशा करता है की उसका फैसला मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में होगा। हम यह भी आशा करते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत भारतीय पुरुषों द्वारा एकतरफा तलाक के "विशेषाधिकार" की संवैधानिकता की भी जांच करके अपना फैसला सुनाये गा।
 
हम सौ सलाम करते हैं शोलापुर के अतहर ब्लड बैंक के चेयरमैन और जाने माने आलिम, मौलाना सैय्यद शहाबुद्दीन सलफ़ी फिरदौसी को जिन्होंने अपने एक बयान के ज़रिये आईएमएसडी की तीन तलाक़ और हलाला विरोधी मुहीम को पूरा समर्थन दिया है. जो बयान उनहोंने आईएमएसडी को सौंपा है उसमें साफ़ साफ़ लिखा है कि: "एकबारगी ‘तलाक़ - तलाक़ - तलाक़' का दे देना इस्लाम दीन का मज़ाक़ उड़ाना है और इस्लाम की बेटियों पर ज़ुल्म ढाना है. हलाला मुस्लिम औरतों की इज़्ज़त पर डाका डालना है और उनकी इज़्ज़त को तार तार करना है”.

आईएमएसडी के साथ एक लम्बी बातचीत करते समय उन्हों ने यह भी कहा कि मुल्क में ऐसे सैकड़ों आलिम हैं जो की तीन तलाक़ और हलाला के मामले में उनसे पूरी तरह सहमत हैं और वह उम्मीद करते हैं की आने वाले दिनों में वह भी खुलकर अपनी सोंच सबके सामने रखेंगे।

पिछले सप्ताह में उलेमाओं की एक आल इंडिया तंज़ीम के दो बड़े पदाधिकारियों ने आईएमएसडी के कनवीनर को बताया की अगर सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ और हलाला को ग़ैरसंविधानिक और ग़ैर क़ुरानी घोषित किया तो वह इस फैसले का स्वागत करेंगे। 

आईएमएसडी उलेमाओं से अपील करती है कि वह अपने ज़मीर को टटोलें और जनता के सामने हक़ और इन्साफ की बात करें जबकि क़ुरान ने हर मुस्लिम पर इसे फ़र्ज़ ठहराया है. "ऐ ईमानवालों मज़बूती के साथ इन्साफ़ पर क़ायम रहो और ख़ुदा के लये गवाही दो अगरचे (ये गवाही) ख़ुद तुम्हारे या तुम्हारे माँ बाप या क़राबतदारों के लिए खिलाफ़ (ही क्यो) न हो ख़्वाह मालदार हो या मोहताज (क्योंकि) ख़ुदा तो (तुम्हारी बनिस्बत) उनपर ज़्यादा मेहरबान है तो तुम (हक़ से) कतराने में ख़्वाहिशे नफ़सियानी की पैरवी न करो और अगर घुमा फिरा के गवाही दोगे या बिल्कुल इन्कार करोगे तो (याद रहे जैसी करनी वैसी भरनी क्योंकि) जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे ख़ूब वाकि़फ़ है" (सूरे निसा, 4:135).

आईएमएसडी का मानना है कि तीन तलाक, हलाला व बहुविवाह की जो प्रथा आज मुस्लिम समाज में चल रही है उसे गैरसंविधानिक घोषित किया जाये। तीन तलाक मुस्लिम महिलाओ के संविधानिक अधिकारों का हनन ही नहीं करता बल्कि यह इस्लाम के उसूलों के विरुद्ध भी है। यह क़ुरान में बताये गए तलाक़ के तरीके से बिलकुल भिन्न है। हलाला जैसी शर्मनाक प्रथा (जो तीन तलाक का परिणाम है) का इस्लाम में कोई स्थान नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रिपल तालक को अवैध घोषित किया है। इतना ही नहीं अधिकांश इस्लामी देशों ने भी इस पर एक वैधानिक प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाओं पर समुदाय के भीतर निहित स्वार्थों के द्वारा इस्लाम के नाम पर यह प्रथा आज भी जारी है। कुछ संस्थाओं ने इन निर्दयी, अमानवीय और महिला विरोधी प्रथाओं को गैर कुरानी घोषित करने की भी मांग की है। आईएमएसडी इन प्रथाओं पर लगाम लगाने और मुस्लिम महिला के समान अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आईएमएसडी कुछ साम्प्रदायिक राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के प्रयास की निंदा करती है क्योंकि स्पष्ट रूप से यह जेंडर जस्टिस का एक सीधा मुद्दा है और हमारे संविधान के तहत तयशुदा मूलभूत अधिकार है। हमारा मानना है कि वह संस्थाएं जो गौ हत्या के नाम पर मुस्लिम पुरुषों की हत्या के जिम्मेदार हैं, या ऐसी क्रूर घटनाओं का लीपापोती करते हैं, या एक झटके में दसियों हज़ार मुस्लिम परिवारों कि अजीविका समाप्त करने को सही नीति करार देते हैं, वो मुस्लिम महिलाओं के शुभचिन्तक कभी नहीं हो सकते।

हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से भी अपील करते हैं कि वो जेंडर जस्टिस के इस मुद्दे को टीवी तमाशा में बदलने से बचें, जहाँ इसे मुस्लिम महिलाओं और कट्टरपंथी मौलवियों के बीच एक दंगल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करने वालों के नाम नीचे दर्ज हैं।

Javed Anand (Convener): 9870402556; javedanand@gmail.com
Feroze Mithiborwala (Co-convener): 9029277751; feroze.moses777@gmail.com
Nasreen Contractor (Co-convener)
Qutub Kidwai (Member, IMSD National Executive Committee)
Khatoon Shaikh (Member, Member, IMSD National Council)

 
(मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की आयीएमएसडी द्वारा जारी मुहीम के समर्थन में जाने माने मौलाना सैय्यद शहाबुद्दीन सलफ़ी फिरदौसी, चेयरमैन, अतहर ब्लड बैंक, शोलापुर का बयान. Mobile No: 9561699373)    

एकबारगी "तलाक़ - तलाक़ - तलाक़' का दे देना
इस्लाम दीन का मज़ाक़ उड़ाना है
और,
इस्लाम की बेटियों पर ज़ुल्म ढाना है.
 
हलाला
मुस्लिम औरतों की इज़्ज़त पर डाका डालना है
और,  
उनकी इज़्ज़त को तार तार करना है.
 
For further information contact: Javed Anand (9870402556).

PDF of Maulana Statement.