बीएचयू गेट पर बनारस के बुद्धिजीवी नागरिक समाज ने छात्रों के निलंबन के खिलाफ और कर्मचारियों के आंदोलन के समर्थन में प्रतिरोध मार्च निकाला , किया विरोध प्रदर्शन।

आज दिनांक 24 मई को बीएचयू सिंघद्वार पर बनारस के छात्र नागरिक कर्मचारी और बुद्धिजीवी समाज ने परिसर में फैली अराजकता, प्रशासनिक तानाशाही और दमन के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज कराया। धरने व् सभा में प्रशासन से कर्मचारियों और छात्रों की माँगो नारे लिखी तख्तियां लिए हुए लोग एवं आंदोलन के गीतों... " सृस्टि बीज का नाश न हो हर मौसम की तैयारी है,कल का गीत लिए होंठो पर आज लड़ाई जारी है" आदि ने विवि द्वार पर लोगो की  नजरे थाम रखी थी। सभा में वक्ताओं ने कहा है की बीएचयू परिसर में धीरे 2 एक महीना होने को आया आज छात्र आंदोलन को चलते हुए , 24 घंटे लाइब्रेरी खोलने की माँग विवि को नाजायज लग रही है जबकि 2013 से यह लाइब्रेरी छात्रों को 24 घंटे उपलब्ध थी। कुलपति लाल जी सिंह ने परिसर आसपास के डे स्कॉलर छात्रों के लिए यह सुविधा विशेषतौर पर शुरू किया था। नरिया, छित्तूपुर, सीर, महामनापूरी, करौंदी, सामने घाट, नगवा आदि क्षेत्रों में किराए पर रह रहे वे छात्र जिन्हे विवि हॉस्टल नहीं दे पाता है वे रात को बिजली पानी आदि की असुविधा से पढ़ाई से वंचित न हो इस आशय से तत्कालीन कुलपति ने यह साइबर लाइब्रेरी पूर्ण कालिक रूप से खोल दिया था। विवि का यह बयां की स्नातक छात्र रात को लाइब्रेरी में मनोरंजन करते है और छात्र लाइब्रेरी में प्रतिबंधित साईट देखते है बेहद दुखद और खण्डनयोग्य है, विवि प्रशासन को यह सोचना होगा अगर उसके छात्र इतने बदजलन और नाकारा ही है तो बड़े बड़े पत्र पत्रिकाओं और अन्य रेटिंग एजेंसियों की नजर में विवि की उच्च रैंकिंग कैसे आ रही है ? रैंकिंग और देश विदेश में बीएचयू का जो सम्मान है वो छात्रों के श्रम और योग्यता से आई है न की हरतीन साल पर बदलने वाले कुलपति से। मालवीय जी के मानस पुत्रों ने देश विदेश में प्रत्येक मोर्चो पर अपनी साख बनाई है और विवि प्रशासन अतयन्त लापरवाही से छात्रों को आरामतलब, अईयाश और लापरवाह किस्म का बता रहा है। तानाशाह कुलपति द्वारा लाइब्रेरी बंद करने के बाद आंदोलनकारी छात्र वंही बाहर स्ट्रीट लाइट में बैठ के रात को पढ़ना शुरू किया। स्ट्रीट लाइट से जबरिया उठाए जाने पर हस्ताक्षर अभियान शुरू किये , हस्ताक्षर अभियान का बैनर छीने जाने पर सांसद कार्यालय जिसे कुछ लोग जुमलेबाजी बगान की अफीम पड़ी चाय पीकर पीएमओ समझते है के बाहर रात भर पढ़ाई किया, छात्रों ने शरीफ बनने की पूरी कोशिश करते हुए राष्ट्रपति के आगमन के दिन आंदोलन बंद रखा। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मानव संसाधन मंत्रालय मानवाधिकार आयोग आदि तमाम दरबारों में फरियाद के बावजूद छात्रों को आश्वासन हासिल नहीं हुआ है। वक्ताओं ने कहा की एक ओर पीएम डिजिटल इण्डिया और 24 घंटे अधिकतम काम करने की बात करते है वंही उनके कुलपति आरएसएस के शाखाओं/ सेमिनारों में व्यस्त है और छात्रों को पढ़ने से भी वंचित कर रहे है और इंटरनेट की उपलब्धता को सिमित कर रहे है, विवि का अजीब तर्क है की 500 से कम सीटों वाले साइबर लाइब्रेरी में 30 हज़ार से ज्यादा छात्रों की जरूरत पूर्ण हो जाती होगी।भूखे पेट अंतड़िया सुखाते हुए 45 डिग्री तापमान में बैठे छात्र विवि प्रशासन के हृदय परिवर्तन का इन्तजार करते रहे और कल देर शाम कुलपति त्रिपाठी जी की ओर से ' निलंबन' का पत्र प्राप्त हुआ है। वंही दूसरी ओर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी परिसर में पिछले 24 घंटे से धरने पर हैं। 25 - 30 साल से ज्यादा समय से कार्यरत कर्मचारी का भविष्य अँधेरे में होना प्रशासनिक अमानवीयता का सीधा साफ़ उदाहरण है।अभी कुछ समय पहले 39 संविदा कर्मचारियों ने भी बिना किसी बिना किसी नोटिस के निकाले जाने के खिलाफ आंदोलन किया था। छठे वेतन की मलाई खा रहे विवि कुलपति और प्रशासन को गरीब असंगठित कर्मचारी और साधनहीन छात्रों की ओर संवेदना पूर्ण दृष्टि रखनी चाहिए थी तो शताब्दी वर्ष मना रहे और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के आगमन की बड़ी 2 खबरों के बीच विरोध और असन्तुष्टि के स्वर मुखरित नहीं होते और विवि की तथाकथित आदर्श गरिमा परम्परा जिसका उल्लेख कुलसचिव अपनी प्रत्येक नोटिस में करते है तार - तार न होती। विवि प्रशासन से यह मांग है की छात्रों का निलंबन वापस लेते हुए तत्काल उनकी सभी माँगो और कर्मचारियों की सभी मांगों को मान ले अन्यथा बनारस का नागरिक समाज कल से कड़े विरोध की तैयारी करेगा। धरना एवं सभा के बाद प्रतिरोध मार्च निकाला गया जो की रविदास चौराहे से वापस मालवीय प्रतिमा पर आकर विसर्जित हो गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ अवधेश दीक्षित, विकास यादव, संदीप सिंह, नीलेश, हर्षित सिंह, आशीष सिंह, आकाश सिंह, मंजीत कुमार, कमलेश सिंह, धनंजय, मीणा शंकर राय, धीरज सिंह, प्रशांत राय,  जाग्रति राही, अनूप, रवि, एकता, राहुल, सुनील, अभिलाष, आशु, प्रिया, सुजाता आदि मौजूद रहे। 
प्रेषक 
धनञ्जय त्रिपाठी