3 जनवरी, 2015, रोहतक, हरियाणा
आयोजक - हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ, हरियाणा
सावित्रीबाई फुले के 185 वें जन्मदिन के अवसर पर सावित्रीबाई फुले के महिला शिक्षा व स्त्री जीवन में व्यापक सुधार के लिए किए गए प्रयासों को पुनः याद किया गया। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन काल में स्त्री जीवन को अशिक्षा के अंधकार से निकालने के लिए जो प्रयास किए वे 19 वीं शताब्दी के उस शुरुआती दौर में एक विलक्षण योगदान था। विकट अंधियारे में प्रकाश दीप जलाने वाले के साहस और विश्वास की कल्पना करना आसान नहीं है। उनके 66 वर्ष के अथक प्रयासों ने ही स्त्री शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। इस अवसर पर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने हरियाणा में 3 जनवरी को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया। 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर हरियाणा के रोहतक जिले में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कवियत्री व सामाजिक कार्यकर्त्ता सुश्री अनीता भारती मुख्य वक्ता थीं। उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले जो कि भारत की पहली महिला शिक्षिका थी उनके महिला शिक्षा के लिए किए गए प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले की लड़ाई ब्राह्मणवाद के ख़िलाफ़ वंचित व हाशिए के लोगों की लड़ाई थी। सावित्रीबाई फुले 19 वीं शताब्दी की एक ऐसी साहसी एवं आधुनिक तथा समाज के लिए समर्पित स्त्री थी जिन्होंने अपना पूरा जीवन अति जातिवादी समाज के क्रूर, जटिल व हठी तानेबाने से लड़ते हुए दलित एवं वंचित तबके के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों में खर्च किया। यह एक साधारण बात नहीं थी। हमारा समाज आज भी उस शख्सियत और उस व्यकित्व के कद से कम परिचित है। समाज के पढ़े लिखे तबकों और शिक्षिक वर्ग को चाहिए कि वे सावित्रीबाई फुले के योगदान को न केवल याद रखें बल्कि उनके प्रयासों की दिशा को समझते हुए उसे पूर्ण शक्ति से आगे बढ़ाए, ताकि समाज में आज तक फैली हुई जातिव्यवस्था की जड़ों को समाप्त किया जा सके तथा समाज में स्त्री की आज भी जो दुर्दशा है उसमें बेहतरी लाने का रास्ता प्रशस्त हो सके। इस अवसर पर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने एक पुस्तिका "हां मैं, सावित्रीबाई" का विमोचन किया जिसमें सावित्रीबाई फुले का एक लेख और कुछ कविताएं संकलित की गई हैं। गत 22-23 नवम्बर को हैदराबाद में स्कुल टीचर फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा पुरे भारत के महिला अध्यापिकाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें यह प्रस्ताव पास किया गया था कि प्रतिवर्ष 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी कड़ी में हरियाणा में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में लगभग 100 महिला अध्यापिकाओं ने हिस्सेदारी की। कार्यक्रम में सुश्री सुमन, सुश्री मधु, सुश्री मुकेश और हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रधान श्री वजीर सिंह ने भी अपने विचार रखे।
भारती
9812192233
दिनांक - 4 जनवरी, 2015
आयोजक - हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ, हरियाणा
सावित्रीबाई फुले के 185 वें जन्मदिन के अवसर पर सावित्रीबाई फुले के महिला शिक्षा व स्त्री जीवन में व्यापक सुधार के लिए किए गए प्रयासों को पुनः याद किया गया। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन काल में स्त्री जीवन को अशिक्षा के अंधकार से निकालने के लिए जो प्रयास किए वे 19 वीं शताब्दी के उस शुरुआती दौर में एक विलक्षण योगदान था। विकट अंधियारे में प्रकाश दीप जलाने वाले के साहस और विश्वास की कल्पना करना आसान नहीं है। उनके 66 वर्ष के अथक प्रयासों ने ही स्त्री शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। इस अवसर पर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने हरियाणा में 3 जनवरी को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया। 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर हरियाणा के रोहतक जिले में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कवियत्री व सामाजिक कार्यकर्त्ता सुश्री अनीता भारती मुख्य वक्ता थीं। उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले जो कि भारत की पहली महिला शिक्षिका थी उनके महिला शिक्षा के लिए किए गए प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले की लड़ाई ब्राह्मणवाद के ख़िलाफ़ वंचित व हाशिए के लोगों की लड़ाई थी। सावित्रीबाई फुले 19 वीं शताब्दी की एक ऐसी साहसी एवं आधुनिक तथा समाज के लिए समर्पित स्त्री थी जिन्होंने अपना पूरा जीवन अति जातिवादी समाज के क्रूर, जटिल व हठी तानेबाने से लड़ते हुए दलित एवं वंचित तबके के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयासों में खर्च किया। यह एक साधारण बात नहीं थी। हमारा समाज आज भी उस शख्सियत और उस व्यकित्व के कद से कम परिचित है। समाज के पढ़े लिखे तबकों और शिक्षिक वर्ग को चाहिए कि वे सावित्रीबाई फुले के योगदान को न केवल याद रखें बल्कि उनके प्रयासों की दिशा को समझते हुए उसे पूर्ण शक्ति से आगे बढ़ाए, ताकि समाज में आज तक फैली हुई जातिव्यवस्था की जड़ों को समाप्त किया जा सके तथा समाज में स्त्री की आज भी जो दुर्दशा है उसमें बेहतरी लाने का रास्ता प्रशस्त हो सके। इस अवसर पर हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने एक पुस्तिका "हां मैं, सावित्रीबाई" का विमोचन किया जिसमें सावित्रीबाई फुले का एक लेख और कुछ कविताएं संकलित की गई हैं। गत 22-23 नवम्बर को हैदराबाद में स्कुल टीचर फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा पुरे भारत के महिला अध्यापिकाओं का सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें यह प्रस्ताव पास किया गया था कि प्रतिवर्ष 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी कड़ी में हरियाणा में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में लगभग 100 महिला अध्यापिकाओं ने हिस्सेदारी की। कार्यक्रम में सुश्री सुमन, सुश्री मधु, सुश्री मुकेश और हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रधान श्री वजीर सिंह ने भी अपने विचार रखे।
भारती
9812192233
दिनांक - 4 जनवरी, 2015