पहली बार किसी कोर्ट नें हिंसक भीड़ का पक्ष लिया है !
एसआइटी कोर्ट के जज साहब नें गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी जनसंहार पर अपना फैसला दिया है। जज साहब नें अपने फैसले में कहा है कि मारे गये सांसद अहसान जाफरी नें अपनी लाइसेंसी बन्दूक से गोली चला कर भीड़ को भड़का दिया था जिसके कारण 69 लोग मारे गये थें।
जज नें पीड़ित को ही गुनहगार घोषित कर दिया
सब जानते हैं कि गोधरा में भाजपा ने ट्रेन में आग लगवाई। उसके बाद ट्रेन में मारे गये लोगों की लाशों के साथ सारे राज्य में जलूस निकाले गये।
उसके बाद भाजपा , संध और विहिप के नेताओं की देखरेख में भीड़ इकट्ठी कर के मुस्लिम बस्तियों और दुकानों पर हमले किये गये और इन दंगों में करीब दो हज़ार लोगों का कत्ल किया गया।
पहली बार किसी कोर्ट नें हिंसक भीड़ का पक्ष लिया है
आज तक सभी मानते हैं कि भीड़ लोकतन्त्र की दुश्मन है। लोकतन्त्र समझदार नागरिकों से चलता है। भीड़ ही हिंसक सम्प्रदायिक संगठनों की ताकत होती है।
भीड नें ब्रूनो को जिंदा जला दिया था क्योंकि उसने सत्य कहा था कि पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ घूमती है। लेकिन बाइबल कहती थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर काटता है। धर्माध भीड़ ने लकड़ी के लट्ठे पर बांध कर ब्रूनों को ज़िदा भूना।
इसलिये कानून अदालत सभी भीड़ के न्याय को फटकारती हैं। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद तो भारत में पागलपन का दौरा ही पड़ा हुआ है।
हिमांशु कुमार के फेसबुक वॉल से साभार
पहली बार किसी अदालत नें भीड़ के प्रति सहानुभूति दिखाई है।
अगर जज , पुलिस और नेता हिन्दु की तरह सोचने लगेंगे तो इस देश को कैसे एक रखा जा सकेगा ?